राम नरेश
पटना । राज्यभर में कुल 104 प्रखंड कार्यालय दूसरे विभागों के अधीन कार्यालयों में संचालित हो रहे हैं। इनमें 47 प्रखंड ऐसे हैं जिसकी भूमि है, लेकिन भवन उपलब्ध नहीं हैं। जबकि 57 प्रखंडों में न तो प्रखंडों के अपने भवन हैं और न ही भूमि उपलब्ध है।
सामुदायिक भवन, कृषि भवन तथा दूसरे सरकारी कार्यालयों के साथ इन प्रखंड कार्यालयों का संचालन हो रहा है। जिलों की ओर से ग्रामीण विकास विभाग को इसकी सूची भेजी गई है। विभाग ने इसकी समीक्षा की है।
पटना के पुनपुन, मनेर, घोसवारी, नालंदा के गिरियक, करायपरशुपराय। भागलपुर के गौराडीह, सन्हौला, नवगछिया में जमीन तो है, मगर अपना प्रखंड भवन उपलब्ध नहीं है।
मधुबनी के कलुआही, मधेपुरा के शंकरपुर, मुजफ्फरपुर के औराई, बंदरा, रोहतास के काराकाट, सीवान के जीरादेई, लकड़ीनवीगंज, सारण के तरैया में भी भूमि है, मगर अपना प्रखंड कार्यालय नहीं है। पूर्वी चंपारण के कोटवा, पिपराकोठी, पूर्णिया के भवानीपुर, बक्सर के चौगाई, चौसा, केसठ, चक्की में भी जमीन है, मगर अपना प्रखंड भवन नहीं है।
औरंगाबाद के ओबरा, कटिहार के डंडवाेरा, किशनगंज के किशनगंज, कैमूर के भगवानपुर, खगड़िया के खगड़िया सदर, मासी। बता दें कि गया के गुरारू, गोपालगंज के भाछे, कटैया, पंचदेवरी, जमुई के इस्लामनगर अलीगंज का प्रखंड कार्यालय दूसरे कार्यालयों में चल रहे हैं।
दरभंगा के कुशेश्वर पूर्वी, गाड़ाबौराम, बेगूसराय के डंडारी, नावाकाठी, साम्हो अखा कुर्हा, इसी तरह लखीसराय के लखीसराय, शिवहर के डुमरी कटसरी, शेखपुरा के चेवाड़ा, समस्तीपुर के सिंघिया, विभूतीपुर, सहरसा के पत्थरघाट, सत्तारकटैया, बनमा इटहरी प्रखंड की भी यही स्थिति है।
पटना के दुल्हिनबाजार, संपतचक, खुसरूपुर में न तो अपनी जमीन ही है और न ही अपना भवन है। इसी तरह कटिहार के कुरसेल, समेली, कैमूर के नुआंव, गया के बांकेबाजार, आमस, मोहड़ा, जमुई के गिद्धौर, बरहट जहानाबाद के मोदनगंज, दरभंगा के तारडीह कितरपुर, नवादा के काशीचक, नारदीगंज की भी यही स्थिति है।
पश्चिमी चंपारण की बात करें तो बेतिया, मधुबनी, जोगापट्टी, पूर्वी चंपारण के बनकटवा, संग्रामपुर, फेनहारा, तेतरिया, बांका के फल्लीडुमर में भी न तो प्रखंड कार्यालयों की अपनी जमीन है और न ही अपना भवन उपलब्ध है।