WORLDS LABOUR DAY- एक मई यानि आज का दिन देशभर में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। और 90 के दशक की अधिकतर फिल्में मजदूर,उसकी मजदूरी और उसके संघर्षो पर आधारित होती थी। जिसमें आम आदमी के साधारण जीवन को फिल्माया जाता था। पुराने समय की फिल्मों में समाज में अपना अहम योगदान देने वाले मजदूरों को आधार माना जाता था।
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अब बात करतें हैं उन बॉलिवुड फिल्मों कि जिनमें मजदूरों की जीवन शैली दिखाई गई हैं। सबसे पहले बात करते हैं, मशहुर अभिनेता दिलीप कुमार Dilip Kumar Hero की फिल्म़ पैगाम की।
पैगाम-
यह फिल्म
(Film)
सन् 1959 में रिलीज़ हई थी। यह फिल्म (Film) एक रिक्शा चालक पर आधारित थी। इस फिल्म में दिलीप कुमार Dilip Kumar के साथ अभिनेत्री वैजयंतीमाला और अभिनेता राजकुमार नें भी अभिनय किया हैं। फिल्म की कहानी मजदूरों और फैक्ट्री मालिक के आधार पर ही हैं। जिसमें वर्ग संघर्ष की स्थिति को बखूबी फिल्माया गया है।
दीवार-
यह फिल्म (Film) 1970 की सामाजिक राजनीतिक उथल-पुथल को दिखाती हैं। जिसमें राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन नें एक साथ काम किया हैं, और यह फिल्म 1975 में रिलीज़ हुई थी। जिसनें हिंदी सिनेमा में एक बेहतरीन इतिहास रचा हैं।
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नया दौर-
यह फिल्म (Film) 1957 में हिंदी सिनेमा में आई थी। जिसमें एक तांगे वाले के संघर्ष को दिखाया गया हैं। जिसका किरदार अभिनेता दिलीप कुमार Dilip Kumar ने निभाया हैं। इस फिल्म में अभिनेता अपने मजदूर साथी की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए संघंर्ष करता हैं।
नमक हराम-
यह फिल्म (Film) 1973 में रिलीज हुई थी। जिसमें राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन एक साथ होते हैं। इस फिल्म में मुंबई की कपड़ा फैक्ट्रियों में यूनियन को दिखाया गया हैं। इस फिल्म में मंहगाई और मंदी के मुद्दे को भी उठाया गया था।
कूली-
इस फिल्म (Film) में अमिताभ बच्चन ने अभिनय किया हैं। जिसमें वह कूली बनकर अपनी जिंदगी यापन करता हैं। इस फिल्म में ऋषि कपूर, कादर खान, रति अग्निहोत्री, वहीदा रहमान, सुरेश ओबरॉय, पुनीत इस्सर आदि अभिनेता/अभिनेत्री थें। इसमें भी मजदूरों के संघर्ष और उनके हक की लड़ाई को दिखाया गया हैं।
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आज हमने मजदूर दिवस पर मजदूरों पर बनी फिल्मों पर चर्चा की। और जाना की किस तरह हिंदी सिनेमा में मजदूरों पर फिल्में बनती थी।