आज के दौर में काफी हद्द तक चीज़े इतनी ज्यादा बदल गयी हैं कि पुराने समय की चीजें गौण होती जा रही है। आप टेक्नोलॉजी की ही देख लीजिये कि लोगों के रहने का ढंग देख लीजिये। पुराने ज़माने के बच्चों को देख लीजिये जहां पुराने समय में आँख उठाकर अपने गुरुओं को बच्चे देखा नहीं करते थे तो वही आज के समय में Wonderful Kids हैं। बच्चो का पढ़ाई लिखाई और टीचर्स से कोई मतलब ही नहीं होता…..दादी – नानी से काफी बार किस्से कहानी में आपने भी सुना होगा कि पुराने वक़्त में बच्चे लाइट न आने की वजह से कैंडल जला कर पढ़ा करते थे, लेकिन अब के समय की अगर बात करें तो बच्चों ही नानी-दादी को समझा देते हैं। उनका कहना सीधा यही होता है कि “वो आपका ज़माना हुआ करता था”, अब के दौर के ज्यादातर बच्चे पढ़ाई को देख ऐसे दबे पाओ भागते हैं जैसे उन्हें सांप सूंघ गया हो। आज के बच्चो का पढ़ाई की तरफ से ध्यान बिलकुल ही हट गया है तभी तो, अपने एग्जाम आंसर शीट में वो अतरंगी और फनी फनी जवाब देते हैं। …..जैसे एक बच्चे से पूछा गया “what comes after 10 ?” तो उस बच्चे जवाब दिया “?” जी हाँ क्वेश्चन मार्क क्युकी सवाल में 10 के बाद क्वेश्चन मार्क लगा था।
एक सवाल में बच्चे से पूछा गया 3 जानवरो नाम तो बच्चे ने जवाब दिए “मेंढक , मेंढक के पापा , मेंढक की मम्मी”, एक सवाल पूछा गया कि find x तो बच्चे ने जवाब में एक फिगर बनाई उस पर x लिख कर उसे सर्कल मार्क कर दिए और फिर एक एरो बनाते हुए लिखा ” here it is”, एक बच्चे को जब अपना टेस्ट साइएन करने को दिया गया तो बचे ने पेरेंट्स सिग्नेचर की जगह मॉम लिख कर टीचर को दे दिया। आपको सिर्फ सुनकर इतनी हंसी आ रही है सोचिये उन शिक्षकों का हंस हंस कर क्या हाल होता होगा। आज के समय में बच्चे भी किसी से पीछे नहीं है। अगर उन्हें जवाब नहीं आते तो वो उन सवालों के जवाब ढूंढने के बदले अपने ही अलग अलग और अतरंगी जवाब देने में लग जाते है, जिसे पढ़ कर कभी कभी शिक्षकों को हंसी भी आती और कभी कभी गुस्सा भी। … कभी कभी जवाब देख कर शिक्षक इतने खुश हो जाते हैं कि उनकी कुछ शब्दों में तारीफ कर एक्स्ट्रा मार्क्स भी दे देते हैं तो वही कभी कभी जवाबो से नाराज़ होकर मार्क्स काट भी लेते हैं।
-अपूर्वा चौधरी