चरण सिंह
भले ही विधानसभा और लोकसभा में शीतकालीन सत्र चल रहा हो पर किसी भी सदन में रोजगार, महंगाई, किसान-मजदूर की बात नहीं हो रही है। बात हो रही है ऐसे मुद्दे की, जिससे वोटबैंक प्रभावित होता हो। यह वोटबैंक की राजनीति ही है कि उत्तर प्रदेश में राम और बाबर तो केंद्र में भगवान और अम्बेडकर के नाम के बीच बहस छिड़वा दी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में जहां राम और अल्लाह को लेकर जय श्रीराम और अल्लाहु अकबर नारे की चर्चा हुई तो दिल्ली राज्यसभा में भगवान और अम्बेकडर के बीच बहस छिड़ गई है।
दरअसल गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में भाषण देते हुए यह बोल दिया कि आजकल अम्बेडकर बोलना फ़ैशन हो गया है। उन्होंने कांग्रेस पर हमलावर होते हुए कहा कि जितनी बार अम्बेडकर बोलते हो यदि उतनी बार भगवान का नाम ले लेते तो सात जन्मों में स्वर्ग मिल जाता। विपक्ष ने अमित शाह के इस बयान को मुद्दा बना लिया है।
कांग्रेस ने इसे बाबा साहेब का अपमान बताकर अमित शाह से माफ़ी मांगने की मांग करते हुए आंदोलन छेड़ दिया है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल इसे बीजेपी अहंकार बता रहे हैं। आज़ाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आज़ाद ने भी इसकी निंदा की है। मामले को बिगड़ते देख पीएम मोदी ने एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए कांग्रेस पर बाबा साहेब का सबसे अधिक अपमान करने का आरोप लगाया है।
हालांकि बाद में अमित शाह ने मामले को संभालते हुए यह भी कहा कि अम्बेडकर ने एससी एसटी के साथ व्यवहार ठीक न होने के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अम्बेडकर नेहरू सरकार की नीतियों और अनुच्छेद 370 से खुश नहीं थे।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि यह जो बहस देश में चल रही है इससे किसका भला हो रहा है। जनप्रतिनिधि किसी का भी नाम ले पर उसका पहला कर्तव्य अपने क्षेत्र के लिए काम करना होता है। उसकी कार्यशैली और गतिविधियों में देशभक्ति होनी चाहिए। राजनीतिक दल ऐसे किसी मुद्दे को पकड़ लेते हैं, जिससे किसी विशेष वर्ग की भावनाएं आहत होती हों। अम्बेडकर ऐसा नाम है जिससे दलितों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। लोकसभा चुनाव में संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष को काफी फायदा हो गया था। अब विपक्ष का प्रयास होता है कि सत्ता पक्ष का कोई मामला संविधान से जोड़ दिया जाए जिससे दलितों की भावनाएं जुड़ जाएं। ऐसे ही सत्ता पक्ष का प्रयास होता है कि किसी तरह से माहौल हिन्दू मुस्लिम का हो जाए। हिन्दू एकजुट होकर उन्हें वोट दे दें।