चुनाव आयोग के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद सभी दलों ने चुनाव प्रचार तेज कर दिया है। भले ही चुनाव पांच राज्यों मे हो रहे हों पर पूरे देश का ध्यान उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री मुकाबला सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है। भाजपा जहां सपा को अपराधियों से जोड़कर उसकी छवि खराब करने में लगी है वहीं सपा ने सीधे योगी आदित्यनाथ को टारगेट किया है। सपा एक रणनीति के तहत योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भाजपा में ही माहौल बनाकर उनको अलग-थलग करने की नीति पर काम कर रही है। जहां अखिलेश यादव योगी आत्यिनाथ के बारे में कह रहे हैं कि बाबा को तो उनकी ही पार्टी टिकट नहीं दे रहंी है। अखिलेश यादव भाजपा नेताओं को बेचारा कहते हुए योगी आदित्यनाथ को भाजपा का ही नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा के नेता यह यह सोच रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ उनका हक मारने के लिए पता नहीं कहां से आ गये। सपा मतगणना के दिन १० मार्च को अखिलेश सरकार बनने पर योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर भेजने की बात करने लगी है। सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने बाकायदा १० मार्च का आदित्यनाथ का गोरखपुर का फ्लाइट टिकट बनवा लिया है। उनका कहना है कि १० मार्च को खुद भाजपा योगी आदित्यनाथ से पल्ला झाड़ लेगी। ऐसे में योगी आदित्यनाथ के पास अपने मठ गोरखपुर में लौटने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।
दरअसल योगी आदित्यनाथ की पहचान भाजपा से अलग एक हिन्दूवादी नेता की है। योगी आदित्यनाथ भले ही भाजपा के मुख्यमंत्री हों पर कई मामलों में वह भाजपा की नीतियों के अलग हटकर भी काम करने लगते हैं। योगी आदित्यनाथ के बारे में बताया जाता है कि वह समाजवादी नेता पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रश्ेखर को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। डॉ. राम मनोहर लोहिया की नीतियों का भी बखान करते हुए सुने जाते हैं। भले ही योगी आदित्यनाथ की पहचान हिन्दू वाहिनी से हो पर आज की तारीख में उनके सिर पर आरएसएस का हाथ है। भाजपा में योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सब कुछ ठीक नहीं बताया जा रहा है। यह विवाद समय-समय पर सामने आता रहा है। आईएएस अधिकारी अरविंद शर्मा को एमएलसी बनाने को मोदी के योगी के काम में हस्तक्षेप करने के रूप में देखा गया था। हालांकि योगी आदित्यनाथ ने उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी। सु्ल्तानपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेस के उद्घाटन के अवसर पर भी यह विवाद सामने आया। प्रधानमंत्री की गाड़ी के पीछे चलते हुए योगी आदित्यनाथ की तस्वीर खूब वायरल हुई। कई वेब पोर्टलों ने तो प्रधानमंत्री के योगी आदित्यनाथ को धक्का दिया था।
कहा तो यह भी जाता है कि प्रधानमंत्री नरंेद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी २०१७ भाजपा की जीत के बाद मनोज सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी। बाकायदा यह संदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी को आरएसएस के सर संघ चालक मोहन भागवत के पास भेज दिया गया था। तब योगी आदित्यनाथ के अपने वजूद और आरएसएस के हस्तक्षेप के बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया था। भले ही राजनीतिक दबाव के चलते हिन्दू वाहिनी पूरी तरह से सक्रिय न हो पर योगी आदित्यनाथ की पहचान भाजपा की कम और हिन्दू वाहिनी की ज्यादी है। यह वजह है कि भाजपा के भीतर योगी के विरोध के स्वर फूटते रहते हैं। इस फूट को समाजवादी पार्टी भुनाना चाहती है। वैसे भी सपा योगी आदित्यनाथ की छवि एक बाहुबलि की बनाकर पिछड़ों और मुस्लिमों का वोट हासिल करने की रणनीति बना रही है।
योगी आदित्यनाथ को सपा गोरखपुर इसलिए भेजने की बात इसलिए कर रही है क्योंकि योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मन्दिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। ये हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं। 12 सितंबर 2014 को गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद इन्हें यहाँ का महंत बनाया गया था। दरअसल गोरखनाथ मंदिर का भाजपा पर बड़ा प्रभाव रहा है। सबसे पहले 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए।1999 में ये गोरखपुर से पुनः सांसद चुने गए। हिन्दू युवा वाहिनी योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2002 में बनाई थी। 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। 2009 में ये 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2014 में पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर ये सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए तो योगी आदित्यनाथ से इन चुनाव में प्रचार कराया गया था लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। इन सबके बावजूद 2017 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित साह ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। बाकायदा इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया। आदित्यनाथ का भारतीय जनता पार्टी के साथ रिश्ता मात्र एक दशक से पुराना है। योगी आदित्यनाथ का पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है। अब अपनी सरकार के बलबूते इन्होंने मध्य उत्तर प्रदेश के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी छाप छोड़ी है। भाजपा के खिलाफ हुए किसान आंदोलन के बावजूद एक बड़ा तबका योगी आदित्यनाथ का समर्थक है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने को सपा ने बनाई भाजपा के बजाय योगी आदित्यनाथ को टारगेट करने की रणनीति
चरण सिंह राजपूत