नप द्वारा ढ़ाई महीने में तीन एफआईआर
विकास कार्य की जगह नप में हो रहे एफआईआर
14 लाख रुपये निकालने के लिए आरोपी के पास चेक कैसे आया!
प्रमोद कुमार के कार्यकाल के वित्तीय मामलों की जांच विजलेंस से करायी जाय
एफआईआर के बाद आरोपी की गिरफ्तारी किस परिस्थिति में नहीं हुई
राम विलास
राजगीर। इन दिनों नगर परिषद, राजगीर सुर्खियों में है।15 फरवरी से दो मार्च के बीच नगर परिषद द्वारा ताबड़तोड़ तीन एफआईआर दर्ज कराया गया है। सभी एफआईआर में जालसाजी, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और वित्तीय अनियमितता का गंभीर आरोप है। लगातार तीन एफआईआर दर्ज होने के बाद शहर में चर्चा सुर्खियों में है। लोग कहने लगे हैं कि नगर परिषद भ्रष्टाचार के आकंठ में डूब गया है।
यहां के वित्तीय अनियमितताओं की जांच करने में जिला धावा दल सह निगरानी कमिटी फेल हो गयी है। अब इसकी जांच विजिलेंस से कराने की आवश्यकता महसूस होने लगी है। ताजा मामला दूसरे एफआईआर के आरोपी तत्कालीन सहायक टैक्स दरोगा एवं प्रभारी लेखापाल प्रमोद कुमार से जुड़ा है। सूत्रों के अनुसार एफआईआर और निलंबित होने के बाद कोर्ट से जमानत लेकर अप्रैल के अंतिम सप्ताह में प्रमोद कुमार नगर परिषद कार्यालय पहले की तरह आये।
उनके द्वारा कार्यालय का गोदरेज खोलकर पहले छानबीन की गयी और कुछ पेपर को निकालकर अपने साथ ले भी गये। निलंबित प्रमोद कुमार के सभी क्रियाकलाप परिषद के सीसीटीवी कैमरे में कैद है। वे पहले की तरह ड्यूटी और फाइल डील करना चाहते थे। लेकिन कार्यपालक पदाधिकारी ने उनकी नहीं सुनी। बावजूद वे नियमित रूप से कार्यालय आते रहे हैं।
30 अप्रैल को फिर उनके द्वारा चौकाने वाला कार्य को अंजाम दिया गया है। नगर परिषद के एकाउंट से 14 लाख रुपये अपने एकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए पीएनबी में उनके द्वारा चेक दिया गया था। लेकिन बैंककर्मियों की सतर्कता से वह अपने मिशन में सफल नहीं हो सके। शहर में चर्चा है कि प्रमोद कुमार के पास नगर परिषद का चेक कैसे और कहां से आया। कहीं इस साजिश में नगर परिषद के और कर्मी तो शामिल नहीं हैं। इसकी भी जांच जरुरी बतायी जा रही है।
पहला और दूसरा एफआईआर प्रशिक्षु आईएएस कार्यपालक पदाधिकारी सुश्री दिव्या शक्ति और तीसरा कार्यपालक पदाधिकारी संतोष कुमार के निर्देश पर किया गया है। पहला एफआईआर एलडीसी रवि कुमार के खिलाफ दर्ज कराया गया था। उनके खिलाफ नगर परिषद के तत्कालीन सहायक टैक्स दरोगा एवं प्रभारी लेखापाल प्रमोद कुमार द्वारा धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा का मुकदमा दर्ज कराया गया है।
उन पर फर्जीवाड़ा कर सरकारी कोष के मोटी रकम के गवन का भी गंभीर आरोप है। दूसरा एफआईआर प्रशिक्षु आईएएस के ही कार्यकाल में नगर प्रबंधक रविशचन्द्र वर्मा द्वारा सहायक टैक्स दरोगा एवं प्रभारी लेखापाल प्रमोद कुमार के खिलाफ दर्ज कराया गया है। प्रमोद कुमार पर उपयोगिता प्रमाण पत्र से संबंधित दस्तावेजों पर पहले के कार्यपालक पदाधिकारी का फर्जी हस्ताक्षर करने, फोटो कॉपी लगा दस्तावेज में जालसाजी करने, वित्तीय लेनदेन और संपत्ति विनियम में फर्जीवाड़ा का गंभीर आरोप है।
कैश बुक संधारण में जालसाजी व हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है। फोटो काॅपी की संबंधित प्रविष्टियां कैश बुक में मौजूद नहीं है। रोकड़ बही प्रविष्टि की फोटो कॉपी में जलसाजी की गई है। उपयोगिता की राशि को बढ़ा चढ़ा कर कार्यपालक पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, जो सरकारी धन के दुरुपयोग का प्रमाण है।
— प्रमोद द्वारा पहले अमरेन्द्र के नाम से की गयी है नौकरी
प्राथमिकी अभियुक्त प्रमोद कुमार द्वारा केवल कैश बुक में ही नहीं बल्कि अपनी सेवा और शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में भी हेराफेरी की गयी है। राजगीर के नगर पंचायत अब नगर परिषद में उनके द्वारा पहले अमरेन्द्र कुमार सिन्हा के नाम से नौकरी की गयी थी। वर्तमान में वे प्रमोद कुमार के नाम से नौकरी कर रहे थे।
सूत्रों की माने तो डीपी राय प्लस टू स्कूल, दीपनगर, कोरई की दाखिला पंजि में उनका नाम अमरेन्द्र कुमार सिन्हा, पिता राम विलास प्रसाद सिन्हा की आयु 20.11.1968 है। स्वामी हंसदेव मुनि उदासीन संस्कृत महाविद्यालय, राजगीर से 2004 में नाम बदलकर प्रमोद कुमार द्वारा मध्यमा की परीक्षा पास की गयी है।
उनके दोनों शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच बाद उम्र छिपा कर एवं नाम बदलकर नौकरी करने के मामले का पर्दाफाश हो सकता है। वोटर लिस्ट और पारिवारिक सूची में उनका नाम अमरेन्द्र कुमार सिन्हा दर्ज है, लेकिन वोटर लिस्ट में फोटो प्रमोद कुमार का है।
— 13 साल पहले डीएम ने प्रमोद को बर्खास्त करने का दिया है आदेश
डीएम के पत्रांक 35/11 दिनांक 12.8.11 द्वारा स्वर्गीय राम सरोवर सिंह का गलत मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत करने के आरोपी सहायक टैक्स दरोगा प्रमोद कुमार की सेवा बर्खास्त करने का आदेश दिया गया है।
उन पर पंजि में अनावश्यक काट कूट व छेड़छाड़ के अलावे गलत तिथि अंकित करने के मामले की जांचोंपरांत आरोप सही पाये जाने के बाद सहायक टैक्स दरोगा सह सहायक प्रमोद कुमार को सेवा से बर्खास्त करने हेतु डीएम द्वारा कार्यपालक पदाधिकारी, राजगीर को आदेश दिया गया था। लेकिन डीएम के उस आदेश का कार्यपालक पदाधिकारी, राजगीर द्वारा अबतक अनुपालन नहीं किया गया है।