कविता में कल्पना,विचार और ताल का अद्भुत समन्वय होता है : प्रो. हेमंत कुकरेती

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कविता व्यक्ति की भावभूमि से लोक की भावभूमि की एक यात्रा है : अनिल राय

श्यामलाल महाविद्यालय (सांध्य),दिल्ली विश्वविद्यालय के समान अवसर प्रकोष्ठ द्वारा स्वरचित कविता-पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । प्रतियोगिता का शुभारंभ साक्षी, दिव्या और वैष्णवी के द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन से हुआ।

इस प्रतियोगिता की अध्यक्षता कर रहे कॉलेज के प्राचार्य प्रो.हेमंत कुकरेती ने कविता के भारतीय और पाश्चात्य फलक को समझाते हुए कविता शब्द में निहित अर्थ को व्यंजित किया। उन्होंने आगे कहा कि कविता को प्रभावशाली बनाने के लिए गहन अध्ययन की आवश्यकता होती है।कविता में कल्पना,विचार और ताल का अद्भुत समन्वय होता है।
इस प्रतियोगिता में महाविद्यालय के अनेक विभागों के प्रतिभागी विद्यार्थियों : हितेश, विशाल कुमार, सिद्धार्थ सिंह ,दयानंद सागर, सार्थक, अमरदीप, अभिषेक कुमार ,आर्यन, अनुप्रिया, पूजा, विपिन, सुजीत कुमार ,दीपक कुमार ,भानुप्रताप, अक्षय प्रताप सिंह, रेनू भारद्वाज, निशांत कुमार ,वैष्णवी आदि ने भाग लिया। निर्णायक मंडल प्रो. अनिल राय और डॉ. सुरभि ने सर्वसम्मति से हितेश, निशांत और संयुक्त रूप से पूजा और सिद्धार्थ को क्रमश: प्रथम ,द्वितीय, और तृतीय पुरस्कार देने की घोषणा की।
आयोजन के अंत में हिंदी विभाग के प्रो. अनिल राय ने कविता के अनेक पक्षों पर प्रकाश डालते हुए आचार्य शुक्ल के निबंध ” कविता क्या है” का जिक्र किया।उन्होंने आगे कहा कि कविता व्यक्ति की भावभूमि से लोक की भावभूमि की एक यात्रा है।जिसमें व्यक्ति को अपने अहम का विसर्जन करना पड़ता है।समान अवसर प्रकोष्ठ की संयोजिका प्रो. सुमित्रा ने अपनी एक कविता को सुनाने के बाद धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रतिभागियों की रचनात्मकता को सराहा। छात्र प्रत्यूष द्विवेदी और अनुभा राज ने इस प्रतियोगिता का संचालन किया|

इस प्रतियोगिता आयोजन में प्रो.रेनू गुप्ता, प्रो.अर्चना उपाध्याय,डॉ.सुनीता खुराना,डॉ.अमित सिंह,डॉ.रामरूप मीणा,डॉ. रीतेश भारद्वाज, डॉ. सारिका त्यागी, सुश्री अंजुबाला, डॉ. वत्सल, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. प्रणव ठाकुर,डॉ. अरुणा चौधरी, डॉ. नीरज कुमार मिश्र आदि के साथ बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

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