छह दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण की हुई शुरुआत
समस्तीपुर पूसा डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में मंगलवार को वैज्ञानिकी विधि से मधुमक्खी पालन एवं शहद के उत्पादों का मूल्य संवर्धन विषय पर छह दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता करते हुए कुलपति डा पुण्यवर्त सुविमलेंदु पांडेय ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शहद उत्पादन करने के लिए समूह बनाकर व्यवसाय करने की जरूरत है। किसानों को कृषि से बेहतर आमदनी के अलावे रहने सहने के साथ साथ तौर तरीके में परिवर्तन लाने की जरूरत है। किसानों के उत्पादों को ही कोई भी व्यवसाई बेहतर पैकेजिंग कर चौगुना आमदनी प्राप्त कर लेता है। जबकि किसानों को अपने उत्पाद से बहुत ही नगण्य आय की प्राप्ति होती है। प्रशिक्षण के दौरान किसानों के उत्पाद का वैल्यू बढ़ाने की दिशा में तकनीकी ज्ञानवर्धन की जाती है। भारत में श्वेत क्रांति का दौर शुरू हो गया है। दूध के उत्पादन में भारत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मछली के क्षेत्र में नीली क्रांति की भी समुचित शुरुआत हो चुकी है। प्रधानमंत्री के सपने के आधार पर शहद के क्षेत्र में मीठी क्रांति का भी देश में आगाज हो चुका है। विवि में फिलवक्त सरसों, लीची, वनतुलसी, जामुन, एवं सहजन का शहद उपलब्ध रखने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें सहजन का शहद बहुत ही दुर्लभ शहद के नाम से जाना जाता है। बिहार सरकार के सौजन्य से मगही पान, जर्दालू आम, कतरनी धान, मरीचा धान, शाही लीची के अलावे मिथिला की मखाना को जीआई टैग प्राप्त हो चुका है। किसानों को कृषि व्यवसाय के क्षेत्र में जोखिम उठाने की जरूरत है। जब किसान अपने कृषि व्यवसाय के क्षेत्र में जोखिम भरे कदम उठाएंगे तभी वह हुनरमंद हो सकते है। विवि में बांस एवं फूल पर तकनीकी ढंग से बेहतर अनुसंधान करने की जरूरत है। इस क्षेत्र में भी किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए अपार संभावनाएं है। वैज्ञानिक सह समन्वयक डा मोहित शर्मा ने कहा कि कुलपति डा पीएस पांडेय के निर्देशन में हनी क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। इस हनी क्रांति को मुहिम बनाकर आगे ले चलने का प्रयास करने की जरूरत है। वैज्ञानिक सह समन्वयक डा रामदत्त ने कहा कि कृषि उत्पादों का बाजारीकरण करने की तकनीक को समझने की आवश्यकता है। कोई भी उत्पाद का ब्रांडिंग के आधार पर ही मार्केटिंग वैल्यू मिलता है। जब आप अपने कृषि व्यवसाय में बेहतर करेंगे तभी आपकी देश स्तर पर पहचान विकसित हो पाएगी। प्रसार शिक्षा निदेशक डा मधुसूदन कुंडू ने कहा कि मधुमक्खी एक प्रकार का हथियार है। जिसे ईश्वर ने झाड़ी जंगल में छुपाकर रखा है। जंगल में छुपा इस ईश्वर प्रदत्त ताकत को मधुमक्खी ही बाहर निकालकर लाता है। मधुमक्खी के बिना मानव जीवन अधूरा है। मधुमक्खी को इस धरती पर नही रहने पर मनुष्य का जीवन महज चार वर्षों का ही होगा। संचालन डा एआर स्रवंती ने की। धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक सह मधुमक्खी पालन केंद्र प्रभारी डा नागेंद्र कुमार ने की। मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र प्रधान डा आरके तिवारी, डा यू मुखर्जी, डा शमीर, इशिता, प्रीति, लालिन्या, राजेश, शरण, सक्षम आदि मौजूद थे।