पत्नी को पसंद नहीं आया पति का शरीर, संबंध बनाने से किया मना,  हाईकोर्ट ने कहा- महिला का व्यवहार क्रूरता के बराबर

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द न्यूज 15   

बिलासपुर । छतीसगढ़ हाई कोर्ट में एक दंपति के वैवाहिक जीवन में आपसी तालमेल के मामले पर सुनवाई हुई। महिला अपने पति को भद्दा और मोटा कहकर नापसंद करते हुए पिछले 10 साल से शारीरिक संबंध बनाने से भी मना करती रही। इससे परेशान पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस पी सैम कोशी व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के विकास नगर निवासी की शादी 25 नवंबर 2007 को हुई थी। उनकी पत्नी अब बेमेतरा में रहती है। उन्होंने पत्नी के अलग रहने पर तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में परिवाद प्रस्तुत किया था। इसमें बताया गया कि शादी के कुछ माह साथ रहने के बाद वह अगस्त 2008 में तीज पर्व और रक्षाबंधन के लिए मायके चली गई। वहां 8-9 माह रहने के बाद ससुराल लौटी। 11 जुलाई 2009 को युवक के पिता की मौत हो गई। इस दुख की घड़ी में महिला ने पति का साथ नहीं दिया। महिला अगले महीने रक्षाबंधन और तीजा मनाने अपने भाई के साथ फिर मायके चली गई। कुछ समय बाद फिर लौटी। इस दौरान पति को शारीरिक संबंध बनाने से महिला मना करती रही।

2010 में मायके चली गई और नौकरी शुरू कर दी : पति ने अपनी याचिका में कहा है कि साल 2010 में वह फिर से मायके चली गई और बिना बताए चार साल तक वहां रही। सन 2008 से 2015 तक बहुत कम समय वह ससुराल में रही। महिला ने पति व ससुराल वालों को बताए बिना ही साल 2011 में बेमेतरा में शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वॉइन कर ली। ऐसे में वह पति को घर छोड़कर बेमेतरा में रहने के लिए दबाव बना रही थी। परेशान पति ने तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में अर्जी लगाई थी, जो खारिज हो गई, जिसके बाद यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा है। सुनवाई में हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है।

 मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पति के साथ शारीरिक संबंध होना स्वस्थ वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है। यह स्पष्ट है कि अगस्त 2010 से पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है, जो यह निष्कर्ष निकालने के लिए काफी है कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं है। पति और पत्नी के बीच शारीरिक संबंध विवाहित जीवन के स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है। एक पति या पत्नी के साथ शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर है। कोर्ट का विचार है कि इस मामले में पत्नी ने पति के साथ क्रूरता का व्यवहार किया है।

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