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राजस्‍थान का गांव, जहां पहली बार घोड़ी पर बैठकर शान से निकला दलित दूल्‍हा, जय भीम के नारों वाला गूंजा गीत  

राजस्‍थान का गांव
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द न्यूज 15 

जयपुर। राजस्थान में कई गांव ऐसे रहे हैं जिनमें दबंग लोगों की वजह से दलित दूल्हा घोड़ी पर बैठकर नहीं जा सकता था। बूंदी जिले के एक गांव में एक दलित दूल्हा पहली बार घोड़ी पर बैठकर गाँव में निकला। यह मामला पुलिस अधीक्षक जय यादव की निगरानी में हुआ। इस गांव से  दलित दूल्हे 27 वर्षीय श्रीराम मेघवाल की बारात निकली। इस दौरान श्रीराम मेघवाल सफेद रंग की शेरवानी में थे और साथ ही तलवार पकड़े हुए घोड़ी पर सवार होकर वैवाहिक स्थल पर रवाना हुए। यह मामला अपने आप इसलिए भी विशेष है कि राजस्थान में दलित दूल्हों को घोड़ी पर नहीं चढ़ने देने खबरें अक्सर आती रही हैं।
दरअसल ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए स्थानीय पुलिस-प्रशासन की तरफ से बूंदी जिले के 30 गांव चिन्हित किए हैं। इसी के तहत इन गांवों में “ऑपरेशन समानता” की शुरुआत की गई। जिसमें चड़ी गांव में दलित दूल्हे ने घोड़ी पर बैठकर बिंदौली निकाली। इसको लेकर जिला पुलिस अधीक्षक जय यादव ने प्रशासनिक अधिकारियों और समाज के प्रमुख लोगों के साथ बक्शपुरा गांव निकली बारात का स्वागत किया। इस बारात की सुरक्षा में भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात था। दूल्हा खुद पुलिसकर्मियों से घिरा हुआ था। उसकी सुरक्षा एकदम वीवीआईपी की तरह थी। इस दौरान बारात में डीजे पर ‘जय भीम’ के नारे लगाने वाले गीत भी बजाए गए।
दूल्हा बने श्रीराम मेघवाल ने कहा, “आजादी के बाद से मैं इस तरह से घोड़ी पर चढ़ने वाला पहला दलित दूल्हा हूं। यह उस मानसिकता को बदल देगा जो दलितों को हमेशा नीचे रखने की बात करते हैं। यह समानता की दिशा में एक अच्छा कदम है।” बता दें कि मेघवाल और उनकी दुल्हन द्रौपदी की शादी सोमवार को बूंदी पुलिस और जिला प्रशासन की पहल के बीच आयोजित की गई थी। इस तरह के समारोह को लेकर पुलिस अधीक्षक का कहना है कि सभी गांवों में समानता समितियां बनाई गई हैं। जो इस तरह के मामलों की देखरेख करेंगी। इन समितियों में सभी समाजों के लोगों व जनप्रतिनिधियों को भागीदार बनाया गया है। क्षेत्र के थाना अधिकारियों को आपसी सद्भावना कायम कराने का जिम्मा सौंपा गया है। गौरतलब है कि हाल ही में राजस्थान पुलिस ने खुलासा किया कि पिछले 10 सालों में दलित दूल्हों को घोड़े की सवारी करने से रोकने को लेकर 76 मामले दर्ज किए थे।