बिहार के उपचुनाव में फिर दिख सकता है परिवारवाद का रंग!

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अभिजीत पाण्डेय

पटना। बिहार विधानसभा की चार और विधान परिषद की एक सीट पर अब कुछ दिनों के बाद होने वाले उपचुनाव मे वंशवाद फिर आबाद होने की संभावना है। भले ही राजनीतिक दल मंच से परिवारवाद पर सवाल उठाते रहे हों, लेकिन असलियत में सभी दल इस मुद्दे पर समान सोच रखते हैं।

बिहार विधानसभा की रिक्त हुए चार और विधान परिषद की एक सीट पर अब कुछ दिनों के बाद उपचुनाव होना है। हालांकि, निर्वाचन आयोग ने अभी तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है, लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।

लोकसभा चुनाव 2024 में इमामगंज के विधायक रहे जीतन राम मांझी गया (सु) सीट से सांसद बने। बेलागंज से राजद विधायक सुरेंद्र यादव, जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए हैं। तरारी विधानसभा के सीपीआई एमएल विधायक सुदामा प्रसाद आरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गये हैं। रामगढ़ के राजद विधायक सुधाकर सिंह, बक्सर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर, सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र से जदयू के टिकट पर सांसद चुने गए।

बिहार विधानसभा के चार सीटों पर होने वाले उप चुनाव को लेकर राजनीतिक क्षेत्र में लोगों का मानना है कि इस उप चुनाव में एक बार फिर से परिवारवाद देखने को मिलेगा। जिन चार विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं उनमें से तीन सीट बेलागंज, रामगढ़ और तरारी पर महागठबंधन का कब्जा है. इमामगंज की सीट और तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र पर एनडीए का कब्जा है।इस विधानसभा उपचुनाव में वंशवाद फिर आबाद होगा।

जीतन राम मांझी के सांसद बनने के बाद इमामगंज विधानसभा क्षेत्र पर फिर से उपचुनाव की तैयारी हो रही है। इस बार हम (से) से जीतनराम मांझी के दूसरे पुत्र प्रवीण मांझी को उतराने की तैयारी है। उनका मुकाबला फिर से उदय नारायण चौधरी से होने की संभावना है।

गया जिले के बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव को लेकर चर्चा है कि यहां से सुरेंद्र यादव के पुत्र चुनाव लड़ेंगे। सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

रामगढ़ में होने वाले उपचुनाव में इस बार आरजेडी जगदानंद सिंह के छोटे पुत्र अजीत सिंह पर अपना दांव लगा सकती है। अजीत सिंह ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि राजद उनको इस बार अपना प्रत्याशी बनाएगी।
2009 के परिसीमन से पहले तरारी विधानसभा पीरो विधानसभा के रूप में जाना जाता था।

पीरो लोकसभा क्षेत्र कभी बाहुबली सुनील पांडे के विधानसभा क्षेत्र के रूप में जाना जाता था।एक बार फिर सुनील पांडे चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से देवेश चंद्र ठाकुर लगातार तीन बार चुनाव जीते हैं। दो बार जदयू के सिंबल पर और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की। उनकी खली की हुई सीट पर जेडीयू ने अपने प्रत्याशी की खोज कर ली है।

सूत्र बताते हैं कि तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जदयू के प्रवक्ता अभिषेक झा इस बार अपना भाग्य आजमाएंगे।

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