पाकिस्तान में जहा एक तरफ भुकमरी और महंगाई से वहा की जनता परेशान हैं तो वही दूसरी तरफ एक ऐसा क्षेत्र हैं जहा पानी से सोना निकला जाता हैं
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार निज़ामपुर में पिछले दो साल से बड़े पैमाने पर सिंध या अबासीन नदी से बड़ी मशीनरी की मदद से सोना निकालने का काम हो रहा है हालांकि किसी को भी इसकी इजाज़त नहीं है।
सुबह का सूरज निकलते ही ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के ज़िला नौशहरा की तहसील में कड़ाके की ठंड में मैले कपड़े, तन पर पुराना फटा कोट और पांव में प्लास्टिक की चप्पल, इस हालत में वो अबासीन नदी की रेत छानकर उससे सोना निकालने का काम करते हैं। वहा पर काम कर रहे लोग रोजाना मेहनताने के तौर पर 1500 रुपये मिलते हैं लेकिन उनको ये भी मालूम है कि ये काम ख़तरे से ख़ाली नहीं क्योंकि ये ग़ैर-क़ानूनी है।
नौशहरा के डिप्टी कमिश्नर ख़ालिद खटक ने बताया की निज़ामपुर में पिछले दो साल से बड़े पैमाने पर सिंध या अबासीन नदी से बड़ी मशीनरी की मदद से सोना निकालने का काम हो रहा है हालांकि किसी को भी इसकी इजाज़त नहीं है। अगर बात करे नौशहरा के जहांगीरा इलाक़े की तो वहा पर कुल आबादी तक़रीबन 3 लाख है। यहां के स्थानीय लोगों की आमदनी का ज़रिया फ़ौजी सीमेंट फ़ैक्ट्री और सिक्योरिटी संगठनों में नौकरियां, ट्रांसपोर्ट में मेहनत मज़दूरी करना है। हालांकि पिछले दो साल से गांव से गुज़रने वाली सिंधु नदी से सोना निकालने से स्थानीय स्तर पर कारोबार के अवसर बढ़ गए हैं।
वहा के लोग ये भी कहते हैं कि ये काम ग़ैर-क़ानूनी तौर पर हो रहा है। और ‘बड़े लोग’ इसमें लगे हुए हैं. वहा के लोगो का कहना हैं की पैसे की कमी होने के कारण उनको यह काम करना पड़ता हैं। इस काम की शुरुआत में तीन छोटी एक्सकेवेटर मशीनों को चार-चार लाख रुपये महीने के किराए पर लिया था जबकि काम के लिए 20 मज़दूर भी भर्ती कर लिए थे। वहा पर नदी के किनारे पड़ी रेत से काम की शुरुआत भी की लेकिन सोने की कम मात्रा की वजह से हर हफ़्ते 15-20 लाख रुपये का नुक़सान हो रहा था।
जिसके बाद छोटी मशीनरी की जगह 18-18 लाख रुपये महीने के किराए पर और तीन बड़ी एक्सकेवेटर मशीनें पंजाब से मंगवाई गईं जो नदी के बीच से रेत उठाने की ताक़त रखती हैं। इस क़दम से उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई। बात करे वहा के प्रशाशन की तो नौशहरा ज़िले में सिंधु नदी से ग़ैर-क़ानूनी तौर पर सोना निकालने की रोकथाम के लिए खनिज विभाग और ज़िला प्रशासन संयुक्त रूप से कार्रवाई कर रहा है। बात करे यह अवैध खनन काफी पुराना है, लेकिन साल 2022 में भारी और आधुनिक मशीनरी का इस्तेमाल शुरू हुआ और इस साल यह काफ़ी बढ़ गया है।
अवैध खनन को रोकने के लिए पुलिस प्रशाशन ने जगह जगह पुलिस और खनिज विभाग का संयुक्त चेक पोस्ट भी स्थापित किया गया है और खनिज विभाग के अनुरोध पर कार्रवाई की जा रही है। अभी तक अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ 858 मामले दर्ज किए गए हैं. उन्होंने कहा कि अब तक 825 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनसे 70 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया है। इसके साथ 2 एक्सकेवेटर, सात वाहन और 20 मोटरसाइकिल सहित विभिन्न प्रकार के उपकरण भी ज़ब्त किए गए हैं।
आपको बता दे निर्माण कार्य के लिए काबुल नदी और सिंधु नदी से निकाली गई रेत और बजरी में सोने समेत विभिन्न कीमती धातुओं के कण होते हैं। निज़ामपुर और अन्य क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में आपूर्ति की जाने वाली रेत वास्तव में सिंधु और काबुल नदी से ही आती है। ये प्रक्रिया कई घंटों तक चलने के बाद कारपेट को लपेटकर एक लोहे के बड़े बर्तन में जमा करके पानी की मदद से सोने के कण से रेत को अलग कर दिया जाता है। इसमें पारा (धातु) मिलाने से सोने के सभी कण उसके साथ चिपट जाते हैं और सोना हासिल कर लिया जाता है, जबकि आग में पिघलाकर उनमें से सघन सोना निकाल लिया जाता है।
ख़ैबर पख्तूनख्वा की अलग-अलग जगहों के पानी में बड़ी मात्रा में सोना है, लेकिन इस संबंध में शोध और आधुनिक तकनीक की ज़रूरत है।