मनुष्य सृष्टि रूपी कल्पवृक्ष की आयु पूरी हुई, अब नई दुनिया की स्थापना में परमात्मा का मददगार बनने का समय

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खानपुर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, समस्तीपुर के द्वारा दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन शिविर के चौथे दिन समस्तीपुर से आई बीके सविता बहन ने मनुष्य सृष्टि रूपी कल्पवृक्ष के बारे में विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जैसे हर वंश का अपना एक वंश-वृक्ष होता है, जिसमें उस वंश के सभी पूर्वजों व अग्रजों के कार्यकाल का विवरण होता है। वैसे ही मनुष्य सृष्टि रूपी कल्पवृक्ष इस विश्व के सभी प्रमुख धर्म की आत्माओं का संपूर्ण विवरण प्रदान करता है। इस वृक्ष के बीज स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा शिव हैं। जो आकर इस सृष्टि के आदि-मध्य-अंत की नॉलेज देते हैं, इसलिए उन्हें जानी जाननहार एवं सर्वज्ञ भी कहते हैं। यह सृष्टि रूपी वृक्ष जब नया था तो देवी-देवताओं का राज्य था, सभी सुखी थे। कालांतर में यह सृष्टि रूपी कल्पवृक्ष भी लगभग सूख सा गया है क्योंकि इसमें सुख-शांति-प्रेम-आनंद का रस अब नहीं रह गया, सुख में भी दुःख ही समाया हुआ है। हर धर्म अपनी मूल धारणाओं से विरक्त होने लगा है। फलस्वरुप पापाचार, अत्याचार, अनाचार, भ्रष्टाचार और धर्म के नाम पर अधर्म फलने-फूलने लगा है। ऐसे धर्मग्लानि के समय जबकि इस कल्पवृक्ष की आयु 5000 वर्ष हो चुकी है, परमात्मा फिर से नई सतयुगी दुनिया की कलम लगाते हैं। अपने जीवन में सत्य-धर्म की धारणा कैसे हो, इसकी शिक्षा देते हैं। इस ज्ञान से पुरानी कलियुगी दुनिया का विनाश और नई स्वर्णिम दुनिया- एक भारत, श्रेष्ठ भारत, सपनों के दैवी भारत की स्थापना होती है। अभी हम परमात्मा के इस कर्तव्य में साथी बनकर सृष्टि परिवर्तन के कार्य का साक्षी बनने का सौभाग्य सहज प्राप्त कर सकते हैं। जिन्हें हमने जन्म-जन्म पुकारा, अब वह हमारे लिए सहज उपलब्ध हैं। इस अवसर का लाभ उठाकर हम अपने जन्म-जन्म के भाग्य की जितनी लंबी लकीर खींचना चाहें, खींच सकते हैं। यह समय बहुत थोड़ा सा बचा हुआ है।

सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन शिविर दोपहर 2:00 से 3:30 बजे तक जारी रहेगा।

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