Taj Mahal News Today- इन दिनों ताजमहल के बंद कमरों की चर्चाएं सुर्खियों में हैं। ताजमहल आठ अजूबों में सें एक हैं। जिसे देखने दुनियाभर के लोग दूर दूर से आते हैं। लेकिन ताजमहल को लेकर न राजनीति खत्म हो रही हैं, न ड्रामा। इसलिए ताजमहल को पिछले महीने सबसे ज्यादा सर्च किया गया है। ( Taj Mahal News Today ) इसका एक उदाहरण यह भी है, कि कुछ लोग ताजमहल को कभी असंतोषजनक टिप्पणी करते हैं तो कभी ईद के दिन पूजा करने की बात करते हैं। और कभी कोर्ट में ऐसी याचिका लेकर पहुँच जाते हैं। जिसके न सर होते है न पैर।
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यदि आप ताजमहल गए हैं तो वहां के गाइड से आपने इसकी कहानी जरूर सुनी होगी. किस तरह शाहजहां ने नदी के उस पार काले संगमरमर से बने एक मकबरे का सपना देखा था. लेकिन औरंगजेब ने इस काले संगमरमर के मकबरे को बनाने से पहले ही शाहजहां को कैद कर लिया था. और काले ताजमहल के बारे में कहा जाता है कि ये यमुना नदी की दूसरी तरफ सफेद ताजमहल के सामने बनाया जाना था. वही दूसरी ओर दावे के मुताबिक मुगल बादशाह ने अपनी तीसरी बीवी मुमताज महल की तरह अपने लिए भी एक मकबरा बनाने की बात सोची थी।
शाहजहां ने नदी की दूसरी तरफ अपने लिए मकबरा बनाना शुरू किया था लेकिन उसके बेटे औरंगजेब ने उसको कैद कर लिया था। आगे चलकर ये कहानी काफी प्रसिद्ध हो गई। हालांकि मॉर्डन आर्केलॉजिस्ट इस कहानी को सच नहीं मानते।
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ये तो एक कहानी थी काले ताजमहल की। जो आपने नहीं सुनी होगी। यदि आपने इस कहानी को सुना होगी तो कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। वही अब नज़र डालते हैं आज की अपडेट पर कि ताजमहल क्यों एक बार फिर सुर्खियों में आ गया।
Taj Mahal News Today
आज के समय में किसी को भी अपने तर्क कहने का अधिकार हैं। इसी अधिकार से आजकल कुछ लोग बिना तर्क की बातें करते हैं। इसके बारें में आज आपको बताएंगे, साथ ही बात करेंगें कि ताजमहल के बंद कमरों की कहानी कहां से शुरू हुई और कैसे ताजमहल सुर्खियों में आया।
दरअसल, भाजपा के अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी डॉ रजनीश सिंह इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court) तक पहुँच गये। उनका दावा था कि ताजमहल कोई मकबरा शिव मंदिर हैं। वे चाहते थें कि कोर्ट (Allahabad high court) एएसआई को ताजमहल के 22 कमरें खोलने की इजाज़त दें। जो सील बंद हैं और सरकार एक फेक्ट फांइडिग कमेठी बनाकर ताजमहल के इतिहास को मालूम कर जांच करें।
ऐसी एक याचिका 2000 में भी आ चुकी है, जिसमें पीएनओ ने मांग की थी कि ताजमहल को एक हिंदू राजा ने बनवाया था। यह पीएनओ की एक किताब “ताजमहल अ ट्रूथ हिस्टरी” (Taj Mahal a Truth History) पर आधारित थी।
इसी याचिका के आधार पर डॉ. राजनीश सिंह कोर्ट पहुँचे और इसी याचिका का हवाला उन्होनें कोर्ट में दिया। परंतु सन् 2000 में आई याचिका कोर्ट (Allahabad high court) ने खारिज कर दी थी। उसी का हवाला देते हुए रजनीश एक बार फिर कोर्ट जा पहुँचे। हालांकि इस बार याचिका में थोड़े बहुत परिवर्तन थे।
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परंतु जजो की बैंच ने याचिका की सुनवाई में कहा कि आदेश केवल आधिकारों के उल्लंघन होने पर ही दिए जाते हैं। बैंच के वकील से कौन से हक की बात कर रहे है पुछनें पर वकील नें सूचना के अधिकार की बात कही।
सुनवाई में बहस के बाद याचिकाकर्ता के वकील यह साबित करने में न कामयाब रहें कि ताजमहल के बंद कमरो को खुलवाना और जांच कराना कौन से कानून में आता हैं।, तथा उनकी याचिका सूचना के अधिकार के अंतर्गत कैसे आती हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court) का फैसला
अंत में बैंच ने यह तंज भी कसा कि “जाइए और पढ़कर आइए पहले एम.ए की पढ़ाई फिर पी.एच.डी. इसमें आप अपने विषय को चुनिए और अगर तब उस विषय पर शोध से आपको कोई संस्थान रोके, तो हमारे पास आइएगा” और बैंच ने फैसला सुनाया “कि सरकार एक फेक्ट फांइडिग कमेठी बनाने की अनुमति नहीं दे सकती और ताजमहल के 22 कमरें खोलने की इजाज़त किसी शोध के तहत सतत प्रक्रिया के अंतर्गत ही दिया जा सकता हैं। अन्यथा नहीं”।
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Taj Mahal News Today- अंत में आपको बता दें कि ASI के पूर्व रिजनल डायरेकटर के के मोहम्मद ने एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में बताया कि “ताजमहल में तहखाने के कमरे सील नहीं किए गए हैं। उनमें सिर्फ ताले लगाए गए हैं, ताकि पर्यटक वहां न जा सके। ASI इन सभी बेसमेंट के कमरों की देख-रेख करता हैं। जब मैं ASI का आगरा चीफ़ था तब मैंने उन कमरों के अंदर कोई धार्मिक चित्र या मूर्ति, चिह्न देखी हैं।