द न्यूज 15
नई दिल्ली। कर्नाटक के स्कूलों एवं कॉलेजों में हिजाब पहनने की मांग करने वालों पर सुप्रीम कोर्ट से शख्त हो गया है। शीर्ष अदालत ने इस मामले पर हिदायत देते हुए तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। यही नहीं कोर्ट ने हिजाब समर्थक छात्राओं के वकील से कह दिया है कि वे लोग इस मामले में सनसनी फैलाने से बचें। दरअसल वकील देवदत्त कामत ने एग्जाम का हवाला देते हुए कहा था कि किसी की पढ़ाई को नुकसान से बचाने के लिए तत्काल सुनवाई की जरूरत है। इस पर अदालत ने शख्त लहजे में कह दिया है कि आप इस मामले को सनसनीखेज बनाने से बचें। अदालत ने साफ तौर पर कह दिया है कि हिजाब विवाद का परीक्षाओं से कोई लेना-देना नहीं है। देवदत्त कामत की हिजाब की दलील पर चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा है कि ‘परीक्षाओं का इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है। इसका जिक्र कर सनसनी न फैलाएं।’ दरअसल इससे पहले भी कोर्ट ने हिजाब विवाद पर तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा था कि होली की छुट्टियों के बाद इस पर विचार किया जाएगा। गुरुवार को चीफ जस्टिस के समक्ष इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए रखा गया था। इस दौरान एडवोकेट कामत ने कहा कि 28 मार्च से छात्रों की परीक्षाएं होने वाली हैं। हिजाब के साथ एंट्री न देने पर छात्राओं का एक साल बर्बाद होने की बात कामत ने की।
दरअसल कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्कूलों एवं कॉलेजों में हिजाब पर लगे बैन को बरकरार रखा है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम का अहम हिस्सा नहीं है। इसके अलावा अदालत ने साफ कर दिया था कि संस्थान की ओर से यूनिफॉर्म को लेकर तय किए गए नियम को चैलेंज नहीं दिया जा सकता है। इस फैसले के बाद ही हिजाब समर्थकों के वकील सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कह दी थी।