द न्यूज 15
बिजनौर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बिजनौर जिला बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार जिले में सीधी टक्कर भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के बीच है। बिजनौर में जो समीकरण उभरकर सामने आ रहे हैं, उसके अनुसार सपा-रालोद गठबंधन का मजबूत दिखाई दे रहा है।
दरअसल बिजनौर ज़िले में 8 विधानसभा सीटें हैं। दो सीट पर लोकदल के प्रत्याशी है और 6 पर सपा के प्रत्याशी है । सपा ने दो मुस्लिम, एक जाटव ( सुरक्षित सीट ) , एक जाट , एक सैनी और एक गुर्जर प्रत्याशी को मैदान में उतारा है । दो मुस्लिम प्रत्याशियों में एक OBC और एक सामान्य वर्ग से है । हमारे ज़िले में सभी सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशी के लिए लगभग 70-80 टिकट माँगने वाले थे । एक एक सीट पर 10-15 लोग ज़ोर आज़माइश में लगे थे । सपा के एक नेता ठाकुर मूलचंद चौहान के अलावा पूरे ज़िले में किसी एक टिकटार्थी ने भी बग़ावत नहीं की और सब पार्टी प्रत्याशी का चुनाव लड़ा रहे हैं ।
जनपद बिजनौर में सपा-रालोद गठबंधन का माहौल
चुनाव का अंदाज़ा आप इस बात से लगाया जा सकता है कि नजीबाबाद सीट पर तसलीम अहमद ( सपा प्रत्याशी ) को दलित, जाट अपने गांवों में बुलाकर सभाएं करवा रहे हैं, वहाँ पर बनिये तसलीम अहमद को अपने यहाँ बुलाकर चंदा दे रहे हैं । धामपुर सीट पर सैनी समाज के लोग नईम उल हसन ( सपा प्रत्याशी ) की मीटिंग अपने गांवों में करवा रहे हैं । नूरपुर में रामअवतार सैनी और चाँदपुर में स्वामी ओमवेश के साथ मुसलमान ऐसे जुड़ रहे हैं जैसे शायद किसी मुस्लिम प्रत्याशी के साथ भी नहीं जुड़ते ।
बिजनौर और बढ़ापुर में बसपा की रुचि वीरा और मुहम्मद ग़ाज़ी जैसे चेहरे भी मुसलमानों को अपने साथ जोड़ने में सफ़ल नहीं हो पा रहे हैं । बाक़ी नगीना और नहटौर तो रिज़र्व सीट हैं, यहाँ के मुसलमान तो खुद गठबंधन के प्रत्याशी से बोल रहे हैं कि आप दूसरे समाज पर महनत करो, हमें तो केवल इतना बता दो कि हमारे समाज का कौन सा गाँव या मुहल्ला आपसे नाराज़ है, हम उसे मना लेंगे । बिजनौर में जिस तरह का चुनाव चल रहा है, अगर आठों सीट भी गठबंधन जीत जाए तो कोई हैरत की बात नहीं होगी।