Shiv Sena : शिवसेना में हुए विभाजन के बाद महाराष्ट्र में पहला चुनाव होने जा रहा है, 2019 से पहले तक शिवसेना और BJP मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रही थी, लेकिन 2019 के बाद शिवसेना और BJP अलग हो गए, इसके बाद शिवसेना खुद से भी अलग हो गई यानी शिवसेना के ही दो भाग हो गए।
एक ओर एक नाथ शिंदे का गुट और दूसरी ओर बाल ठाकरे के बेटे उध्दव ठाकरे का गुट। एक नाथ शिंदे की के साथ BJP का समर्थन है वहीं उध्दव की ओर कांग्रेस और आंशिक रुप से NCP भी शामिल है, संजय राउट की गिरफ्तारी पर उनकी चुप्पी से तो ऐसे ही कयास लग रहे हैं।
इस कारण भी इस उपचुनाव पर सबकी नजरें बनी हुई है, क्योंकि पहली बार शिवसेना के टूटने के बाद चुनाव होने जा रहा है।
अंधेरी ईस्ट में होने जा रहे इस चुनाव के पहले, MNS प्रमुख राज ठाकरे ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और BJP नेता देवेंन्द्र फड़णवीस को पत्र लिख कर अंधेरी ईस्ट की सीट पर उम्मीदवार न उतारने की सलाह दी।
अंधेरी ईस्ट की सीट पर इससे पहले दिवंगत रमेश लटके यहां से विधायक थे, उनकी आकस्मिक मृत्यु होने के कारण ही अंधेरी की इस सीट पर उप चुनाव हो रहे है।
अब उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना ने इस सीट पर उनकी पत्नी ऋतुजा लटके को उम्मीदवार चुना है। इस पर उनसे राजनीतिक मतभेद रखने वाले उनके चचरे भाई राज ठाकरे भी समर्थन में दिखे।
राज ठाकरे के लिखे पत्र के जवाब में देवेन्द्र फड़णवीस ने उनसे कहा कि आपकी नियत तो अच्छी है लेकिन इस बात का फैसला मैं अकेला नहीं कर सकता हूं।
BJP- शिंदे गुट की ओर से मुर्जी पटेल के इस सीट पर नामांकन किया था। सोमवार यानी 17 Oct को नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख थी।
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राजनीतिक क्रियाकलापों को देखते हुए महाराष्ट्र BJP के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने यह बताया कि उनकी पार्टी अंधेरी ईस्ट विधानसभा क्षेत्र में होने उचपुनाव में अपना उम्मीदवार अब नहीं उतारेगी।
कौन है ऋतुजा लटके ?
ऋतुजा लटके कभी राजनीति में सक्रिय नहीं रहीं, ऋतुजा मुंबई नगर निगम के सर्कल तीन कार्यालय में सहायक के तौर पर नौकरी कर रही थीं लेकिन चुनाव के लिए नामांकन फॉर्म भरने के लिए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
ऋतुजा के पति रमेश लटके बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार में साल 2014 और 2019 में, 2 बार विधायक चुने गए थे, रमेश लटके शिवसेना के अंदर कई भूमिकाओं में रहें है।
विधायक बनने से पहले वे शिवसेना के पार्षद थे। 1997 और 2012 के बीच उन्हें 3 बार शिवसेना पार्षद चुना गया था।
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कभी एक साथ दिखने वाली BJP शिवसेना अब दो गुटों में बटीं दिखाई दे रही है। MNS प्रमुख राज ठाकरे फिलहाल किसी के पक्ष में दिखाई नहीं दे रहें। अगर इस सीट पर उध्दव जीतते है तो इसे उनके लिए एक अहम और बड़ी जीत के तौर पर देखा जाएगा।
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