द न्यूज 15
नई दिल्ली। चुनावी मौसम के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार (16 फरवरी, 2022) को संत रविदास के दर पहुंचे। उन्होंने रविदास जयंती पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के करोल बाग स्थित ‘श्री गुरु रविदास विश्राम धाम मंदिर’ में पूजा-अर्चना की और फिर भजन-कीर्तन में हिस्सा लिया।
उन्होंने इस दौरान सिर पर हल्के नारंगी रंग का रुमाल (माथा ढंकने के लिए) पहना था। मोदी के गले में इस दौरान एक माला भी थी। कीर्तन में वह जब भक्तों के बीच आए तो उन्होंने करताल भी बजाया। यही नहीं, पीएम ने मंदिर की विजिटर्स (आने वाले लोगों के लिए एक कॉपी, जिसमें अपनी प्रतिक्रियाएं देनी होती हैं) बुक में अपना अनुभव भी लिखा।
उन्होंने कहा कि संत रविदास का यह पवित्र धाम जन-जन के लिए एक प्रेरणास्थल है। वह सौभाग्यशाली हूं कि एक सांसद के रूप में मुझे वहां के विकास कार्यों को पूरा करने का मौका मिला। मोदी ने इससे एक दिन पहले यानी 15 फरवरी, 2022 को गुरु रविदास की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्होंने जातिवाद और छुआछूत जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। वह आगे बोले- हमारी सरकार ने हर कदम और योजना में गुरु रविदास की भावना को आत्मसात किया है। रोचक बात है कि पीएम के रविदास मंदिर का यह दौरा ऐसे वक्त पर हुआ, जब पंजाब समेत पांच सूबों (यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर) के विधानसभा हो रहे हैं। देश भर में जहां संत कवि रविदास के अनुयायी हैं। इनमें दलित समुदाय के लोगों की बड़ी संख्या है। पंजाब में भी रविदासिया समाज इस लिहाज से सभी दलों के लिए खासा मायने रखता है। बता दें कि मध्यकालीन कवि एवं समाज सुधारक संत रविदास ने अपने दोहों और उपदेशों के माध्यम से जाति आधारित सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संदेश दिया। पीएम मोदी संत रविदास को काफी मानते हैं। कहा जाता है संत रविदास से जुड़ा यह उनका अगला काशी प्रोजेक्ट (बनारस में संत रविदास मंदिर का सुंदरीकरण और विस्तारीकरण) है। वह इसकी दिल्ली के पीएमओ से लेकर काशी तक जा कर मॉनिटरिंग करते हैं। हालांकि, सियासी विरोधी और सियासी एक्सपर्ट्स इसे वोट बैंक के चश्मे से भी देखते हैं।
मोदी बना रहे संत रविदास का धाम : काशी में संत रविदास का मंदिर पहले बहुत छोटा था। पर धीमे-धीमे इसका प्रांगण बड़ा हो रहा है। चूंकि, संत रविदास में पीएम की अटूट आस्था बताई जाती है, इसलिए वह इसे (सीर गोवर्धनपुर को) बड़े धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र के तौर पर विकसित करना चाहते हैं।
लंगर हाल- 4.54 करोड़ रुपए की लागत का
टॉयलेट ब्लॉग – 25 लाख रुपए से
ट्रॉमा सेंटर से मंदिर तक रोड – 3.69 करोड़ से
मंदिर मोड़ से एनएच तक 12 मीटर चौड़ी सड़क – 1.53 करोड़ रुपए से
बीएचयू से मंदिर होते हुए एनएच रिंग रोड तक इंटरलॉकिंग रोड – 1.31 करोड़ से
संत रविदास पार्क का सुंदरीकरण – एक करोड़ रुपए का
रविदास की मूर्ति तक पैदल मार्ग – 30 लाख रुपए
संत रविदास की कांस्य प्रतिमा – 1.20 करोड़ रुपए में
उन्होंने इस दौरान सिर पर हल्के नारंगी रंग का रुमाल (माथा ढंकने के लिए) पहना था। मोदी के गले में इस दौरान एक माला भी थी। कीर्तन में वह जब भक्तों के बीच आए तो उन्होंने करताल भी बजाया। यही नहीं, पीएम ने मंदिर की विजिटर्स (आने वाले लोगों के लिए एक कॉपी, जिसमें अपनी प्रतिक्रियाएं देनी होती हैं) बुक में अपना अनुभव भी लिखा।
उन्होंने कहा कि संत रविदास का यह पवित्र धाम जन-जन के लिए एक प्रेरणास्थल है। वह सौभाग्यशाली हूं कि एक सांसद के रूप में मुझे वहां के विकास कार्यों को पूरा करने का मौका मिला। मोदी ने इससे एक दिन पहले यानी 15 फरवरी, 2022 को गुरु रविदास की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्होंने जातिवाद और छुआछूत जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। वह आगे बोले- हमारी सरकार ने हर कदम और योजना में गुरु रविदास की भावना को आत्मसात किया है। रोचक बात है कि पीएम के रविदास मंदिर का यह दौरा ऐसे वक्त पर हुआ, जब पंजाब समेत पांच सूबों (यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर) के विधानसभा हो रहे हैं। देश भर में जहां संत कवि रविदास के अनुयायी हैं। इनमें दलित समुदाय के लोगों की बड़ी संख्या है। पंजाब में भी रविदासिया समाज इस लिहाज से सभी दलों के लिए खासा मायने रखता है। बता दें कि मध्यकालीन कवि एवं समाज सुधारक संत रविदास ने अपने दोहों और उपदेशों के माध्यम से जाति आधारित सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संदेश दिया। पीएम मोदी संत रविदास को काफी मानते हैं। कहा जाता है संत रविदास से जुड़ा यह उनका अगला काशी प्रोजेक्ट (बनारस में संत रविदास मंदिर का सुंदरीकरण और विस्तारीकरण) है। वह इसकी दिल्ली के पीएमओ से लेकर काशी तक जा कर मॉनिटरिंग करते हैं। हालांकि, सियासी विरोधी और सियासी एक्सपर्ट्स इसे वोट बैंक के चश्मे से भी देखते हैं।
मोदी बना रहे संत रविदास का धाम : काशी में संत रविदास का मंदिर पहले बहुत छोटा था। पर धीमे-धीमे इसका प्रांगण बड़ा हो रहा है। चूंकि, संत रविदास में पीएम की अटूट आस्था बताई जाती है, इसलिए वह इसे (सीर गोवर्धनपुर को) बड़े धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र के तौर पर विकसित करना चाहते हैं।
लंगर हाल- 4.54 करोड़ रुपए की लागत का
टॉयलेट ब्लॉग – 25 लाख रुपए से
ट्रॉमा सेंटर से मंदिर तक रोड – 3.69 करोड़ से
मंदिर मोड़ से एनएच तक 12 मीटर चौड़ी सड़क – 1.53 करोड़ रुपए से
बीएचयू से मंदिर होते हुए एनएच रिंग रोड तक इंटरलॉकिंग रोड – 1.31 करोड़ से
संत रविदास पार्क का सुंदरीकरण – एक करोड़ रुपए का
रविदास की मूर्ति तक पैदल मार्ग – 30 लाख रुपए
संत रविदास की कांस्य प्रतिमा – 1.20 करोड़ रुपए में