सौरभ सच ये बात

0
14
Spread the love

(कुंडलियां)

लिखने लायक है नहीं, राजनीति के हाल।
कुर्सी पर काबिज हुए, गुंडे-चोर, दलाल॥
गुंडे-चोर, दलाल, करते है नित उत्पात।
झूठ-लूट से करे, जनता के भीतर घात॥
सौरभ सच ये बात, पाप है इनके इतने।
लिखे न जाये यार, अगर हम बैठे लिखने॥

कागज़-क़लम, दवात से, सजने थे जो हाथ।
कूड़ा-करकट बीनते, नाप रहे फुटपाथ॥
नाप रहे फुटपाथ, देश में कितने बच्चे।
बदले ये हालात, देख पाए दिन अच्छे॥
सौरभ सच ये बात, क्या पाएंगे इस जनम।
नन्हे-नन्हें हाथ, ये कोई कागज़ कलम॥

पाकर तुमको है मिली, मुझको ख़ुशी अपार।
होती है क्या जिंदगी, देखा ये साकार॥
देखा ये साकार, देखूं क्या अब मैं अन्य।
तेरा सुन्दर ये रूप, पाकर हुआ धन्य॥
सौरभ सच ये बात, मिले क्या मंदिर जाकर।
मुझको तो सब मिला, साथ तुम्हारा पाकर॥

दर्द भरे दिन जो मिले, जानो तुम उपहार।
कौन दग़ा है दे रहा, परखो सच्चा यार॥
परखो सच्चा यार, मिलता है एक मौक़ा।
निकले धोखेबाज, बच पाए तभी नौका॥
सौरभ सच ये बात, समझो उसको मर्द।
हो सबकी पहचान, अगर सहे कुछ दर्द॥

हरियाली जो है मिली, समझ गुणों की खान।
अगर घटे ये बेवजह, जायज मत तू मान॥
जायज मत तू मान, साँस को गिरवी रखना।
ये है जीवन रेख, मिटी तो कुछ ना मिलना॥
सौरभ सच ये बात, जीवन लगेगा खाली।
स्वस्थ तन-मन रहे, जब तलक है हरियाली॥

बजे झूठ पर तालियाँ, केवल दिन दो-चार।
आखिर होना सत्य ही, सब की जुबाँ सवार॥
सब की जुबाँ सवार, दौड़ता बिजली जैसे।
पड़े अकेला झूठ, सभी को रोके कैसे॥
सौरभ सच ये बात, मन से झूठ सभी तजे।
जीवन में हर जगह, नगाड़े सत्य के बजे॥

डॉ. सत्यवान सौरभ 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here