Satyendra Jain’s assembly Membership in Danger : याचिकाकर्ता अशीष कुमार श्रीवास्त्व ने एडवोकेट निर्मल कुमार अंबस्थ और रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से अपनी याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट के 16 अगस्त के आदेश को चुनौती दी है।
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें सत्येंद्र जैन को विधायक और राज्य सरकार में मंत्री पद से अयोग्य घोषित करने की याचिका खारिज कर दी गई थी, क्योंकि उनका दिमाग सही से काम नहीं कर रहा है। याचिकाकर्ता आशीष कुमार श्रीवास्तव ने एडवोकेट ऑन रिकार्ड निर्मल कुमार अंबस्थ और एडवोकेट रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट के 16 अगस्त के आदेश को चुनौती दी है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि दिल्ली सरकार स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 191 (1) (बी) के तहत भारत के संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है, जिसमें स्प्ष्ट रूप से कहा गया है कि एक व्यक्ति को विधानसभा या राज्य विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुने जाने और होने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, यदि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्रियों में से एक सत्येंद्र जैन जो 2015से शकूर बस्ती विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा के सदस्य भी हैं, उन्होंने खुद घोषणा की है कि उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के समक्ष अपनी याददाश्त खो दी है और इसकी सूचना अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल द्वारा विशेष न्यायाधीश राउज एवेन्यू जिला न्यायालय नई दिल्ली को भी दी गई है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि लेकिन दुर्भाग्य से यह अभी भी दिल्ली सरकार में महत्वपूर्ण कैबिनेट मंत्री पद पर बने हुए हैं और अभी भी दिल्ली विधानसभा के सदस्य के पद का आनंद ले रहे हैं। इसलिए याचिकाकर्ता ने कहा कि न्यायालय सत्येंद्र जैन को एक अस्वस्थ दिमाग वाला व्यक्ति घोषित कर सकता है और बाद में उन्हें दिल्ली विधनासभा के सदस्य या कैबिनेट मंत्री होने के लिए अयोग्य घोषित कर सकता है।