आज जिस तरह से सहारा के चेयरमैन सुब्रत रॉय और उनके सिपहसालारों पर अरबों की ठगी का आरोप लग रहा है। देशभर में सहारा निवेशक और जमाकर्ता अपने भुगतान के लिए आंदोलन कर रहे हैं। मीडिया में भी आंदोलन होने की बात सामने आ रही है। जिस तरह से सैकड़ों सहारा एजेंटों के आत्महत्या करने की बात सामने आ रही है। देश में हर पांचवें आदमी के सहारा से ठगने की बात कही जा रही है। लाखों जमाकर्ताओं के सहारा से जुड़े होने की बात भी सुनी जा रही है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि आखिकार इतने बड़े स्तर पर लोग सहारा के झांसे में कैसे आ गए ?
यह सुब्रत रॉय की ही सोच थी कि सहारा ने राष्ट्रगान में भी विश्व रिकार्ड बना लिया था। बात 6 मई 2013 की है। देशभर से सैकड़ों बसों में सवार होकर लाखों लोग उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित सुब्रत रॉय सहारा शहर के बाहरी इलाके में एक बड़े मैदान में इकट्ठा हो रहे थे। यह मैदान 30 फुटबॉल ग्राउंड से भी बड़ा था। मतलब इस ग्राउंड में लाखों लोग इकठ्ठा हो सकते थे। दरअसल इन लोगों के एक मिशन पर होने की बात कही जा रही थी। देश में एक व्यक्ति जो भारत का राष्ट्रगान गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना चाहता था। यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि सुब्रत रॉय था। सहारा के रिकार्ड से पहले यह रिकार्ड पाकिस्तान के नाम था।
सहारा ग्रुप को ग्रहण लगा 28 फरवरी 2014 को। यह वह दिन था जब से सहारा में सब कुछ बदलना शुरू हो गया था। 1978 में 2,000 रुपए से शुरुआत कर अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा करने वाले सुब्रत रॉय सहारा जेल की सलाखों के पीछे जो पहुंच गए थे। सुब्रत रॉय पर अपनी दो कंपनियों में नियमों के खिलाफ लोगों से पैसे निवेश करवाने का आरोप लगा था। सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को 24,400 करोड़ रुपए निवेशकों को लौटाने को कहा था। तब से लेकर आज तक यह केस चल रहा है।प्रश्न यह भी उठता है कि आज जब सुब्रत रॉय निवेशकों, जमाकर्ताओं और कर्मचारियों की नजरों में खलनायक बने हुए हैं तो ऐसे में ये सब बातें क्यों हो रही हैं। दरअसल सहारा निवेशक, जमाकर्ता और कर्मचारी पैसा मांग रहे हैं और सुब्रत रॉय मामला सेबी पर ताल दे रहे हैं। बात इसलिए भी हो रही है कि गत साल सहारा की तरफ से न्यूज़ पेपर्स में एक ऐड जारी किया गया था। उसमें सहारा ने कहा था कि हमसे दौड़ने के लिए तो कहा जाता है, लेकिन हमें बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया है। सेबी निवेशकों को भुगतान क्यों नहीं कर रहा, जबकि उसके पास हमारे 25,000 करोड़ रुपए जमा हैं। वहीं सेबी का कहना था कि दस्तावेजों और रिकॉर्ड में निवेशकों का डेटा ट्रेस नहीं हो पा रहा, जिस कारण वो पैसा नहीं दे पा रही। यह कोई सुब्रत रॉय की ओर से जारी किया गया पहला विज्ञापन नहीं था बल्कि सुब्रत रॉय सेबी को गलत साबित करने के लिए इस तरह का विज्ञापन समय समय पर जारी करते रहे हैं। मतलब सुब्रत रॉय सब कुछ करेंगे पर निवेशकों और कर्मचारियों का भुगतान नहीं करेंगे।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर निवेशकों को उनका पैसा कब तक मिलेगा? उनका जमा पैसा आखिर कहां चला गया है ? क्या ये पैसा वाकई सेबी के पास है या सहारा ग्रुप झूठ बोल रहा है। प्रश्न यह भी है कि सहारा अपने निवेशकों को इतने सालों तक इतना तगड़ा रिटर्न कैसे देता रहा? अब सबसा बड़ा प्रश्न तो यह है कि आखिकार निवेशकों और जमाकर्ताओं का पैसा कैसे मिले और कैसे कर्मचारियों को उनका वेतन मिलता रहे।