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Sahara Protest : सुब्रत रॉय ने देशभक्ति के नाम पर ठगा निवेशकों जमाकर्ताओं और कर्मचारियों को

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आज जिस तरह से सहारा के चेयरमैन सुब्रत रॉय और उनके सिपहसालारों पर अरबों की ठगी का आरोप लग रहा है। देशभर में सहारा निवेशक और जमाकर्ता अपने भुगतान के लिए आंदोलन कर रहे हैं। मीडिया में भी आंदोलन होने की बात सामने आ रही है। जिस तरह से सैकड़ों सहारा एजेंटों के आत्महत्या करने की बात सामने आ रही है। देश में हर पांचवें आदमी के सहारा से ठगने की बात कही जा रही है। लाखों जमाकर्ताओं के सहारा से जुड़े होने की बात भी सुनी जा रही है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि आखिकार इतने बड़े स्तर पर लोग सहारा के झांसे में कैसे आ गए ?

दरअसल सहारा के मुखिया ने एक योजना के तहत सहारा में देशभक्ति का वह माहौल बना रखा था कि आदमी इस संस्था से जुड़कर अपने को गौरवान्वित महसूस करता था। कभी खेलों को बढ़ावा देने के नाम पर तो कभी कारगिल में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को आर्थिक मदद देने के नाम पर तो कभी आपदाग्रस्त लोगों की मदद करने के नाम पर और कभी राष्ट्रगान के नाम पर सुब्रत रॉय देश में एक राष्ट्रभक्ति का संदेश देते रहते थे। सहारा के विभिन्न कार्यक्रमों में बॉलीवुड, खेल हस्ती और राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं की शिरकत होने की वजह से निवेशकों और जमाकर्ता अपना पैसा सुरक्षित मानकर चलते थे।

यह सुब्रत रॉय की ही सोच थी कि सहारा ने राष्ट्रगान में भी विश्व रिकार्ड बना लिया था। बात 6 मई 2013 की है। देशभर से सैकड़ों बसों में सवार होकर लाखों लोग उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित सुब्रत रॉय सहारा शहर के बाहरी इलाके में एक बड़े मैदान में इकट्ठा हो रहे थे। यह मैदान 30 फुटबॉल ग्राउंड से भी बड़ा था। मतलब इस ग्राउंड में लाखों लोग इकठ्ठा हो सकते थे। दरअसल इन लोगों के एक मिशन पर होने की बात कही जा रही थी। देश में एक व्यक्ति जो भारत का राष्ट्रगान गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना चाहता था। यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि सुब्रत रॉय था। सहारा के रिकार्ड से पहले यह रिकार्ड पाकिस्तान के नाम था।

6 मई 2013 की सुबह करीब 10 बजे उस ग्राउंड में लगे लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट होता है कि दुनिया के सबसे बड़े परिवार के अभिभावक माननीय सहाराश्री तशरीफ ला रहे हैं। इस ग्राउंड में जमा हुए लोग जोरदार नारा लगाते हैं… सहाराश्री जिंदाबाद… सहाराश्री जिंदाबाद।’सुब्रत रॉय के प्रति जमाकर्ताओं और कर्मचारियों में इतनी देशभक्ति थी कि उस दिन मैदान में मौजूद लाखों लोग ब्लैक पैंट, सफ़ेद शर्ट और सफ़ेद रंग से सहारा इंडिया ब्लैक टाई बांधकर पूरी एनर्जी के साथ सुब्रत रॉय जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। इस नारेबाजी के बीच एक बड़ी स्टेज से सहारा इंडिया परिवार के मुखिया सुब्रत रॉय अपने दोनों हाथ हिलाते हैं और जोर-जोर से भारत माता की जय कहते हैं। बताया जाता है कि उस दिन सुब्रत रॉय के साथ दूसरे निदेशकों के साथ ही 1,21,653 लोगों ने एक साथ राष्ट्रगान गया जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया।
 यह वह दौर था कि जब सहारा देश की बड़ी प्राइवेट कंपनियों में से एक हुआ करती थी। सुब्रत रॉय सीना ठोक कर कहते थे कि सहारा 11 लाख सदस्यों का परिवार है। रियल एस्टेट, फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से लेकर स्पोर्ट्स तक सहारा इंडिया का बिजनेस फैला था। देखने की बेटी यह है कि 11 सालों तक यह ग्रुप टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा। IPL में पुणे वॉरियर्स टीम के मालिक भी सुब्रत रॉय सहारा थे। सहारा ग्रुप लंबे समय तक टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा। उस समय सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली के अलावा दूसरे क्रिकेट खिलाड़ी सहारा लोगो लगी ड्रेस पहनते थे। सहारा ग्रुप लंबे समय तक टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा। यह वह  दौर था जब न केवल क्रिकेट बल्कि हॉकी, बॉक्सिंग, कुश्ती मतलब अधिकतर खेलों का स्पांसर सहारा ही था।
सहारा ग्रुप को ग्रहण लगा 28 फरवरी 2014 को। यह वह दिन था जब से सहारा में सब कुछ बदलना शुरू हो गया था। 1978 में 2,000 रुपए से शुरुआत कर अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा करने वाले सुब्रत रॉय सहारा जेल की सलाखों के पीछे जो पहुंच गए थे। सुब्रत रॉय पर अपनी दो कंपनियों में नियमों के खिलाफ लोगों से पैसे निवेश करवाने का आरोप लगा था। सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को 24,400 करोड़ रुपए निवेशकों को लौटाने को कहा था। तब से लेकर आज तक यह केस चल रहा है।प्रश्न यह भी उठता है कि आज जब सुब्रत रॉय निवेशकों, जमाकर्ताओं और कर्मचारियों की नजरों में खलनायक बने हुए हैं तो ऐसे में ये सब बातें क्यों हो रही हैं। दरअसल सहारा निवेशक, जमाकर्ता और कर्मचारी पैसा मांग रहे हैं और सुब्रत रॉय मामला सेबी पर ताल दे रहे हैं। बात इसलिए भी हो रही है कि गत साल सहारा की तरफ से न्यूज़ पेपर्स में एक ऐड जारी किया गया था। उसमें सहारा ने कहा था कि हमसे दौड़ने के लिए तो कहा जाता है, लेकिन हमें बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया है। सेबी निवेशकों को भुगतान क्यों नहीं कर रहा, जबकि उसके पास हमारे 25,000 करोड़ रुपए जमा हैं। वहीं सेबी का कहना था  कि दस्तावेजों और रिकॉर्ड में निवेशकों का डेटा ट्रेस नहीं हो पा रहा, जिस कारण वो पैसा नहीं दे पा रही। यह कोई सुब्रत रॉय की ओर से जारी किया गया पहला विज्ञापन नहीं था बल्कि सुब्रत रॉय सेबी को गलत साबित करने के लिए इस तरह का विज्ञापन समय समय पर जारी करते रहे हैं। मतलब सुब्रत रॉय सब कुछ करेंगे पर निवेशकों और कर्मचारियों का भुगतान नहीं करेंगे।

ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर निवेशकों को उनका पैसा कब तक मिलेगा? उनका जमा पैसा आखिर कहां चला गया है ? क्या ये पैसा वाकई सेबी के पास है या सहारा ग्रुप झूठ बोल रहा है। प्रश्न यह भी है कि सहारा अपने निवेशकों को इतने सालों तक इतना तगड़ा रिटर्न कैसे देता रहा?  अब सबसा बड़ा प्रश्न तो यह है कि आखिकार निवेशकों और जमाकर्ताओं का पैसा कैसे मिले और कैसे कर्मचारियों को उनका वेतन मिलता रहे।