Road Problem : गड्ढों ने लिया तालाब का रूप, मूकदर्शक बने हुए हैं स्थानीय जनप्रतिनिधि और नेता
पवन राजपूत
Road Problem : उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर के ब्लॉक किरतपुर के अंर्तगत आने वाले गांव भोजपुर से बुडगरा होते हुए चंडक जाने वाले रास्ते पर कभी चले जाइये, आपको ऐसा लगेगा कि कहां आ गए ? रास्ते से गाड़ी निकलने का तो मतलब ही नहीं है। यह Road Problem ही है कि यदि आप मोटरसाइकिल या फिर साईकिल से हो तो पूरे रास्ते तालाबनुमा गड्ढों में गिरने का डर बना रहता है। गढ्ढे भी ऐसे कि गिर गए तो जान पर आ जाये।
बात यदि क्षेत्र की करें तो नेतागिरी के मामले में नंबर वन है। रोज लोगों को इस रास्ते से निकलना होता है। जनप्रतिनिधि भी बड़े बड़े दावे करते हैं पर किसी का ध्यान इस समस्या की ओर नहीं जा रहा है। कहना गलत न होगा कि मामला Disregard for public Representatives का है। यह अपने आप में दिलचस्प है कि इस रास्ते से कई गांवों के लोगों का आवागमन है। रास्ते के खराब होने की वजह से या तो लोग बचते हैं यदि कोई इमरजेन्सी का हो तो 3 गुना या फिर 4 गुना रास्ता तय करते हुए किरतपुर या फिर नजीबाबाद से होकर जाते हैं।
Disregard for public Representatives : दरअसल इस मार्ग के बीच में मालन नदी पड़ती है जिस पर एक पुल स्थित है। इस क्षेत्र के नेताओं की बात करें तो सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष सुभाष वाल्मीकि, इसी क्षेत्र किरतपुर निवासी हैं। विपक्ष की पार्टी समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष शाहिद अली खान जो बिजनौर से Assembly Elections भी लड़ चुके हैं, इसी क्षेत्र किरतपुर के निवासी हैं। समाजवादी पार्टी से ही Manoj Paras इसी क्षेत्र से विधायक हैं। विपक्ष में ही बहुजन समाज पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष पूर्व राज्य मंत्री धनीराम सिंह इसी क्षेत्र किरतपुर निवासी हैं। कहना गलत न होगा कि Public representatives avoid accountability.
विपक्ष में ही कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष सुधीर पाराशर जो बिजनौर Assembly Elections भी लड़ चुके हैं वह भी इसी क्षेत्र ग्राम Budgara के निवासी हैं। क्षेत्र में नेता तो एक से बढ़कर एक हैं पर यह रास्ता किसी को दिखाई नहीं देता है। क्षेत्र में राजनीतिक संगठनों के अलावा कई गैर राजनीतिक संगठन भी हैं Lack of Awareness पर है।
समस्या के नाम पर ये संगठन भी चुप्पी साध लेते हैं। हां यदि Assembly Elections हो तो क्षेत्र में सैकड़ों नेता बरसाती मेंढक की तरह निकल आते हैं। सोशल मीडिया पर भी इस क्षेत्र के लोग सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी की महिमामंडित करते रहते हैं। रास्ते को देखकर यह भी कहा जा सकता है कि क्षेत्र में समस्याओं को उठाने के लिए Lack of Awareness है। जाति धर्म को लेकर तो लोग बड़ी बड़ी बहस करते हैं पर स्थानीय समस्याओं के प्रति ये लोग भी जनप्रतिनिधियों की तरह उदासीन हैं।
इस Road Problem के बारे में गांव भोजपुर के युवा नेता पूर्व जिला पंचायत सदस्य डॉक्टर प्रवेंद्र राजपूत ने इस रास्ते के बारे में बताया कि यह रास्ता गन्ना समिति बनाती यही है। जब गन्ने की सीजन होता तब इस रास्ते पर ध्यान जाता है। साल में 8 महीने इस रास्ते का हाल या है कि रात तो भूल ही जाइये दिन में भी इससे निकलना मुश्किल है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या Public representatives avoid accountability
है ? क्या गन्ने के सीजन तक यह रास्ता ऐसे ही रहेगा ?
है ? क्या गन्ने के सीजन तक यह रास्ता ऐसे ही रहेगा ?