राजद ने सवर्ण-दलित से लेकर लवकुश तक पर खेला दांव

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राम नरेश
पटना। पिछले लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नही जीत पाने का दर्द राजद को अब तक साल रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में एकमात्र कांग्रेस बिहार से एक सीट जीत पाई थी। इसी को लेकर लालू यादव ने नया दांव चला है। कोर वोटर यादवों के साथ इस दफे लालू ने भूमिहार-राजपूत और लवकुश समाज के नेताओं को भी टिकट दिया है।

लोकसभा चुनाव के सियासी संग्राम में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक तयशुदा रणनीति के तहत माय और बाप समीकरण को भी साध लिया। लालू यादव ने जिन 22 उम्मीदवारों की घोषणा की उन पर एमवाई के समीकरण की गहरी छाप भी है। लालू प्रसाद यादव ने बगैर आलोचनाओं की परवाह किए वही किया, जिसके लिए वो जाने जाते हैं।

लालू यादव ने घोषित नामों में सजातीय यादव जाति पर सबसे अधिक भरोसा किया। लालू यादव ने अपने समाज से कुल 8 उम्मीदवारों को चुनावी जंग में उतारा है। सारण से रोहिणी आचार्य, पाटलिपुत्र से मीसा भारती, दरभंगा से ललित यादव, सीतामढ़ी से अर्जुन राय, बाल्मीकीनगर से दीपक यादव, मधेपुरा से प्रो चंद्रदीप, बांका से जयप्रकाश यादव और जहानाबाद से सुरेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तेजस्वी के ए टू जेड का भी ख्याल रखा है। उन्होंने वैशाली से भूमिहार समाज के नेता को टिकट दिया। यहां से भूमिहार उम्मीदवार मुन्ना शुक्ला, बक्सर से राजपूत जाति के सुधाकर सिंह , औरंगाबाद से अभय कुशवाहा को उतारा है। नवादा से भी राजद सुप्रीमो ने श्रवण कुशवाहा को उतारा है।

संसद में हमेशा महिला आरक्षण के विरोध में रही लालू यादव की पार्टी आधी आबादी को भी साधा है। सारण से रोहिणी, पाटलिपुत्र से मीसा भारती, मुंगेर से अनिता देवी, जमुई से अर्चना रविदास, पूर्णिया से बीमा भारती को उम्मीदवार बना कर महिलाओं के प्रति समर्थन का इजहार करने की कोशिश की गई है।
राजद ने दलित में पासवान और रविदास पर भरोसा भ किया है।

गया लोकसभा से कुमार सर्वजीत पासवान को उतारा तो जमुई से अर्चना रविदास और हाजीपुर से शिवचंद्र राम को आजमाया है। आलोक मेहता को उजियारपुर, पूर्णिया से बीमा भारती मंडल, मुंगेर से अनिता महतो को आजमाया है। अतिपिछड़ा से चंद्रहास चौपाल को सुपौल से तथा वैश्य से रीता जायसवाल को शिवहर से आजमाया है।

हालांकि इस बार मुसलमानों को लालू प्रसाद यादव ने उतनी तरजीह नहीं दी है। इस बार लालू यादव ने अररिया से शाहनवाज आलम और मधुबनी से अशरफ अली फातमी को आजमाया है। शेष मुस्लिम बहुल क्षेत्र को उन्होंने कांग्रेस के हवाले कर दिया।

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