चरण सिंह राजपूत
नई दिल्ली/चंडीगढ़। दिल्ली में तीनों नगर निगमों को एक करने के साथ ही केंद्र शासित प्रशासन चंडीगढ़ को अपने कब्जे में कर मोदी सरकार की आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को घेरने की नीति को आम आदमी ने पूरी तरह से समझ लिया है। प्रधानमंत्री को खुलेआम ललकारने वाले अरविंद केजरीवाल ने सबसे पहले केंद्र सरकार की घेरने की काट पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत से कराई है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया है। इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार पर चंडीगढ़ के प्रशासन में संतुलन को बिगाड़ने के प्रयास का आरोप लगाया गया है। प्रस्ताव के माध्यम से चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब को देने की मांग की गई है। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की चंडीगढ़ ले मामले में सक्रियता देखते हुए भगवंत मान ने चंडीगढ़ को अपने नियंत्रण में लेने को यह प्रस्ताव पास किया है। दरअसल चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ ही पंजाब और हरियाणा राजधानी भी है।दरअसल मोदी सरकार चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को लुभाने के लिए उनकी सेवा नियमों में बदलाव करने जा रही है।
विधानसभा से पास अपने प्रस्ताव में भगवंत मान का कहना है कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के तहत पंजाब को हरियाणा राज्य में पुनर्गठित किया गया था। पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ और पंजाब के कुछ हिस्सों को उस समय से केंद्र शासित प्रदेश हिमाचल प्रदेश को दे दिया गया था। उनका कहना है कि “तब से दोनों ही राज्यों के नामांकित लोगों को प्रबंधन पदों को देकर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड जैसी सामान्य संपत्ति के प्रशासन में एक संतुलन का उल्लेख किया गया था। उनका कहना है कि अब केंद्र सरकार राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस संतुलन को बिगाड़ने में लगी है।
भगवंत मान ने बताया की चंडीगढ़ प्रशासन की व्यवस्था पंजाब और हरियाणा के 60:40 के अनुपात में की गई है। भगवंत मान का आरोप है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में बाहरी अधिकारियों को तैनात किया गया है। उनका कहना है कि चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों के लिए जो केंद्रीय सिविल सेवा नियम पेश किए हैं, वे पूरी तरह से पिछले सालों में किये गए समझौतों के खिलाफ है।”
दरअसल यह संघर्ष केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की गत हफ्ते की गई घोषणा के बाद शुरू हुआ है। भगवंत मान ने चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को आश्वस्त किया है कि उन्हें केंद्र सरकार में काम करने वाले उनके समकक्ष कर्मचारियों के बराबर ही लाभ मिलेगा। हालांकि विपक्षी दलों ने इससे चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे के कमजोर होने की बात कही है।
पंजाब में पहली बार सत्ता में आई आम आदमी पार्टी चुनाव नतीजों के बाद इसे भाजपा की पैनिक प्रतिक्रिया बताया है। उसका कहना है कि कांग्रेस के साथ ही अकाली दल ने भी इस कदम पर आपत्ति जताई थी।
इस मामले पर भगवंत ने कहा था कि पंजाब सरकार चंडीगढ़ पर अपने दावे के लिए हर स्तर से लड़ेगी। उधर अमित शाह ने चंडीगढ़ में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष करने की बात कही थी। महिला कर्मचारियों की एक वर्ष से बढाकर दो वर्ष की चाइल्ड केयर लीव करने की बात कही थी।