सवाल पर सवाल : सीबीएसई तुझे हुआ क्या है?

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सीबीएसई
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समी अहमद

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई आजकल बिल्कुल अप्रिय कारणों से खबरों में बना है। अपनी श्रेष्ठता के लिए ख्यात सीबीएसई को आखिर क्या हो गया है कि कभी उसे किसी सवाल के लिए माफी मांगनी पड़ रही, कभी उसे कोई सवाल हटाना पड़ रहा है और कभी अपने ही बनाये ओएमआर शीट के नियम बदलने पड़ रहे हैं।
सीबीएसई ने इस साल से दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा में बड़े पैमाने पर परिवर्तन किये हैं। उसने एक बार बोर्ड परीक्षा लेने की जगह टर्म 1 और टर्म 2 में परीक्षा की व्यवस्था की है। टर्म 1 में सिर्फ बहुविकल्पीय प्रश्न रहेंगे जिसके लिए ओएमआर शीट की व्यवस्था है। दूसरे और अंतिम टर्म में वस्तुनिष्ठ प्रश्न होंगे जिसके के लिए अलग अलग अंक निर्धारित होंगे।
सीबीएसई ने यह घोषणा भी थी कि दोनों टर्म के लिए होनी वाली परीक्षा का सिलेबस अलग होगा। मगर पहले टर्म की परीक्षा के दौरान ही परीक्षार्थियों की शिकायत मिल रही है कि प्रश्न सिलेबस से बाहर के पूछे जा रहे हैं। इसके अलावा किस टर्म के लिए कौन से पाठ से प्रश्न आएंगे, इसमें भी इतने परिवर्तन हुए कि परीक्षार्थियों के लिए याद रखना मुश्किल हो रहा है। एनसीईआरटी की किताबों से कौन सा पाठ परीक्षा के लिए हटाया गय है और कौन सा पाठ अलग से जोड़ा गया है, यह भी परीक्षार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी सिरदर्द बना हुआ है।
इसी तरह ओएमआर शीट भरने के नियमों को भी इतनी बार बदला गया है कि यह काफी उलझ गया है। बड़े पैमाने पर ओएमआर शीट भरने में गलतियों और दिक्कतों की शिकायतें मिल रही हैं।
सीबीएसई ने दो टर्म परीक्षा लेने की वजह यह बतायी है कि कोरोना से उपजी अनिश्चित स्थिति में यह तय नहीं कि एक बार बोर्ड की परीक्षा ली जा सकेगी या नहीं, जैसा कि इस साल बोर्ड परीक्षा के समय समस्या हो चुकी थी। इस साल की परीक्षा में बड़े पैमाने पर यह शिकायत मिली थी कि स्कूलों ने मनमानी नंबर दिये थे क्योंकि इस बार बोर्ड परीक्षा नहीं हुई थी और स्कूल के आंतरिक आकलन के आधार पर रिजल्ट तैयार किये गये थे।
सीबीएसई की नयी व्यवस्था के बारे में दूसरी शिकायत यह मिल रही है कि स्कूल ओएमआर शीट भरवाने में धांधली कर रहे हैं क्योंेकि परीक्षा होम सेेन्टर पर हो रही है। ऐसे में परीक्षा के अंकों में हेराफेरी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
सिलेबस और ओएमआर शीट के झमेले के बाद टर्म 1 की बारहवीं की समाजशास्त्र परीक्षा के एक सवाल पर बखेड़ा हो गया। उस सवाल पर सीबीएसई ने माफी मांगी तो शिक्षाशास्त्री हैरान रह गये क्योंकि यह सवाल तो एनसीईआरटी की पुस्तक से लिया गया था। यह सवाल था कि गुजरात में मुस्लिम विरोधी 2002 के दंगों के समय किसकी सरकार थी। सीबीएसई ने फौरन इस सवाल के लिए माफीनामा जारी कर दिया। सवाल यह है कि उसी पाठ में यह भी बताया गया है कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के समय किसकी सरकार थी। तो क्या यह पाठ अब सीबीएसई के पाठ्यक्रम में नहीं रहेगा? अगर यह पाठ रहेगा तो यह सवाल गलत कैसे हुआ और इसके लिए माफीनामा क्यों?
सीबीएसई के सवालों के बारे में अगला विवाद दसवीं की अंग्रेजी की परीक्षा में दिये गये एक गद्यांश पर हुआ। इसके बारे में यह आरोप लगा कि महिला विरोधी बातें लिखी गयी हैं। यह मामला राजनीतिक मुद्दा बना तो सीबीएसई ने यह सवाल ही हटाने की घोषणा कर दी। सवाल यह है कि आखिर सीबीएसई को क्या हो गया है कि उसके बारे में इतनी सारी शिकायतें मिल रही हैं और उसे पछताना पड़ रहा है। क्या यह सवाल तैयार करने वाले शिक्षकों के चयन में उसकी लापरवाही नहीं मानी जानी चाहिए?
सीबीएसई के पक्ष में यह बात कही जा सकती है कि कोरोना के कारण उसे कई दिक्कतों का सामना है लेकिन यह बात परीक्षा के पैटर्न के हद तक मानी जा सकती है। जहां तक सिलेबस तय करने और इसकी ससमय घोषणा की बात है, उसमें तो सीबीएसई को मुस्तैद रहना चाहिए। इसी तरह सवाल तैयार करने वाले शिक्षकों के चयन में भी उसे पूरा सावधान रहना चाहिए।

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