Prithviraj chauhan Movie बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में सहायक होगी ?
Anjali Rathour
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Prithviraj chauhan Movie
चरण सिंह राजपूत/नई दिल्ली। आज मतलब 03 june को prithviraj chauhan movie release हो चुकी है। यह बीजेपी की रणनीति है या फिर संयोग कि सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं के साथ ही बड़ी संख्या में लोगों में movie देखने की होड़ लग गई है।
द कश्मीर फाइल्स के बाद जल्द ही यह दूसरा मौका है कि जब prithviraj chauhan movie के release होते ही भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में इसे टैक्स फ्री कर दिया गया। इसे भाजपा की सधी हुई चाल ही कहा जाएगा कि पृथ्वीराज चौहान movie देखने के बाद जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने movie को भारतीय संस्कृति से जोड़ा वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने movie को देखते ही उत्तर प्रदेश में टैक्स फ्री कर दिया। इसे भाजपा को मुद्दे को सुलगाने का मौका देना ही कहा जाएगा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हिन्दू धर्म की मजाक बनाने वाली फिल्म पीके की तारीफ prithviraj chauhan movie के release होने के मौके पर ही कर दी।
यह भाजपा का अपने हिंदुत्व एजेंडे को बढ़ाना ही है कि भाजपा ने जहां द कश्मीर फाइल्स movie को बढ़ावा देकर अपने हिन्दू वोटबैंक को मजबूत किया है वहीं अब पृथ्वीराज चौहान movie के माध्यम से भी अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गई है। जगह जगह थियेटर में movie देखने के लिए भाजपा नेता जुट रहे हैं। ऐसे में जो भी भी बयानबाजी होगी वह जनाधार मामले में बीजेपी के पक्ष में ही जाएगा।
उधर prithviraj chauhan movie के release होते ही देश में मुग़ल शासक औरंगजेब, शिवाजी, क्षत्रिय शिरोमणि महाराणा प्रताप, prithviraj chauhan जैसे शासकों को बड़ी बहस छिड़ गई है। द इंडियन एक्सप्रेस के कंट्रीब्यूटिंग एडिटर प्रताप भानू मेहता ने लिखा है कि जो यह बहस हो रही है यह अच्छे और बुरे इतिहास को लेकर नहीं है। उनका कहना है कि उनके लिए तो इतिहास काफी मजेदार रहा है। उन्होंने कहा है कि उनकी दुनिया में इतिहास का काम नफरत फैलाना नहीं रहा है। दिलचस्प यह है कि यह बहस भी भाजपा के पक्ष में जा रही है।
दरअसल prithviraj chauhan movie में भाजपा इसलिए दिलचस्पी ले रही है क्योंकि यह राजपूत राजा prithviraj chauhan की वीर गाथा, जयचंद की गद्दारी और मुग़ल सुल्तान के छल कपट की कहानी है। वैसे भी बीजेपी मुग़ल शासकों के दमन और क्रूर शासन का प्रचार प्रसार कर अपने हिन्दू वोटबैंक को मजबूत करने में लगी है। यह मुद्दा ऐसा है कि जितना भी विपक्ष बीजेपी के movie के प्रमोशन करने की बात करेगा उतना ही बीजेपी के पक्ष में माहौल बनेगा। जैसा की द कश्मीर फाइल्स movieमें हुआ था।
who was prithviraj chauhan
दरअसल बारहवीं सदी के इतिहास में जब गजनी का सुल्तान मोहम्मद गौरी हिंदुस्तान के राज्यों पर धावा बोलते हुए दोनों हाथों से लूटपाट मचाये हुआ था तो उसे खदेड़ने वाला महान योद्धा prithviraj chauhan ही था। जिसका शासन राजस्थान के अजमेर में था। देश के इतिहास में यदि पृथ्वीराज चौहान की बात होती है तो पृथ्वीराज के मौसेरे भाई जयचंद की भी बात होती है। जयचंद पर गद्दारी का आरोप लगता है।
जयचंद्र और prithviraj chauhan दोनों ही आपस में मौसेरे भाई तो थे ही साथ ही अच्छे मित्र भी थे। बताया जाता है कि कई लड़ाइयां दोनों ने साथ में मिलकर लड़ी थी। बताया जाता है कि पृथ्वीराज चौहान के नाना अनंगपाल के उन्हें गोद लेने की वजह से वह दिल्ली के शासक भी रहे। इतिहास में ऐसा वर्णन ही कि जयचंद और पृथ्वीराज चौहान दोनों मिलकर गौरी को युद्ध के मैदान से खदेड़ देते थे।
बताया जाता है कि prithviraj chauhan ने 1186 से 1191 के दौरान मोहम्मद ग़ौरी को कई बार पराजित किया। हम्मीर महाकाव्य के अनुसार मोहम्मद गौरी को सात बार हराने की बात लिखी है। पृथ्वीराज रासो में prithviraj chauhan द्वारा मोहम्मद गोरी को 21 बार हराने की कही गई है। इन हमलों का वर्णन 1191 के हरियाणा के तराइन युद्ध में है।
दरअसल 1191 में तराइन के पहले युद्ध में मोहम्मद गौरी बुरी तरह हार गया था। बताया जाता है कि एक सिपाही ने अधमरी हालत में उसे घोड़े पर चढ़ाया था और उसे युद्ध के मैदान से भाग निकला था। पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी की भागती सेना का पीछा न कर राजपूती शान का परिचय दिया था।
हालांकि लोग उनकी यह बड़ी ऐतिहासिक भूल बताते हैं। बताया जाता है कि जयचंद की गद्दारी के कारण ग़ौरी के पृथ्वीराज चौहान की कमजोरी को समझ लेना था। एक साल बाद भारी फौज लेकर फिर से आया। साल 1192 में हुए तराइन के इस दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज हार गए।
जयचंद और prithviraj की दोस्ती दुश्मनी में बदलने के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। बताया जाता है कि जयचंद की पुत्री संयोगिता और prithviraj chauhan के आपस में प्रेम करने के चलते जयचंद और पृथ्वीराज की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई थी।
बताया जाता है कि संयोगिता के विवाह के लिए जयचंद ने स्वयंवर रचाया तो prithviraj chauhan को नहीं बुलाया। साथ ही पृथ्वीराज चौहान का अपमान करने के लिए द्वारपाल की जगह पृथ्वीराज चौहान का पुतला लगा दिया गया।
संयोगिता ने prithviraj chauhan के प्रेम के चलते स्वयंवर में किसी को पसंद नहीं किया। साथ ही संयोगिता ने इसकी खबर पृथ्वीराज चौहान को भिजवाई और prithviraj chauhan संयोगिता की सहमति से उन्हें अपने राज्य ले गए और उसने विधि विधान से शादी की। वैसे भी भारतीय इतिहास में पृथ्वीराज चौहान और उनकी संयोगिता का प्रेम में अमर है।
जयचंद ने उनकी बेटी से पृथ्वीराज चौहान के शादी करने को जयचंद ने पृथ्वीराज से बदला लेने के लिए 1192 के तराइन युद्ध में जयचंद ने मोहम्मद गौरी से संपर्क साध कर उसे पृथ्वीराज के राज्य पर आक्रमण के लिए आमंत्रित किया। सारी कमजोरियों को जान मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान के राज्य पर हमला कर उन्हें बंदी बना लिया।
पृथ्वीराज रासो के मुताबिक मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी के पृथ्वीराज चौहान को कैदी रूप में गजनी ले जाने की बात है। वहां पर पृथ्वीराज चौहान को अंधा कर देने की बात है। वहां पर ही पृथ्वीराज चौहान की अपने मित्र चंदबरदाई से मुलाकात होने की बात है।
इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वीराज चौहान शब्द भेदी बाण की कला में निपुण थे। जब गौरी ने पृथ्वीराज को बंधक बना लिया तो चंद बरदाई भी वहां चले गए। उन्होंने मोहम्मद गोरी को पृथ्वीराज चौहान के शब्दबेधी बाण चलाने के कौशल के बारे में बताया। गोरी हैरान रह गया और ये कला देखने की इच्छा जताई। लेकिन इससे पहले गोरी ने पृथ्वीराज की आंखें गर्म सलाखों से फोड़ दीं। वो आश्वस्त था कि एक नेत्रहीन क्या ही कौशल दिखाएगा।
लेकिन जब गोरी ने शब्दभेदी बाण की कला देखने के लिए चौहान को बुलाया तो चंदबरदाई ने वह प्रसिद्ध छंद पढ़ा। ” चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान”। इसी के बाद पृथ्वी ने तीर चलाकर गोरी को मार गिराया। इस घटना के कुछ देर बाद ही पृथ्वीराज और चंद बरदाई ने एक दूसरे को मार देने की भी बात है। हालांकि यह भी प्रश्न उठा कि चंदबरदाई ने जब आत्महत्या कर ली थी तो फिर रासो में इस घटना को किसने लिखा?
Prithviraj chauhan Movie इसके उत्तर में यह बताया गया है कि ग़ौरी जब पृथ्वीराज को गज़नी ले गया, तब उसके पीछे-पीछे चंद भी पहुंच गए थे। जाने के पहले उन्होंने अपना यह अधूरा काव्यग्रंथ अपने पुत्र जल्हण को सौंप दिया था। रासो में गज़नी की घटनाओं का यह वर्णन जल्हण ने लिखा है। रासो में ज़िक्र है, ‘पुस्तक जल्हण हत्थ दै, चलि गज्जन नृपकाज।’