Praan Pratishtha Samaaroh : मिलते ही रो पड़ीं साध्वी ऋतंभरा-उमा भारती 

0
105
Spread the love

अयोध्या। समय बहुत बलवान होता है। जिन नेताओं की अगुआई में राम मंदिर आंदोलन हुआ। उन नेताओं को राम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कुछ खास तवज्जो नहीं मिली। पूरा कार्यक्रम पीएम मोदी पर केंद्रित रहा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत की उपस्थिति में पीएम मोदी ने राम लला प्राण प्रतिष्ठा की।
उत्तर प्रदेश का अयोध्या धाम आज राममय है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह शुरू हो गया है। उसको लेकर देशभर से बड़ी संख्या में लोग अयोध्या पहुंचे हैं। फिल्म, उद्योग, खेल, राजनीति और संस्कृति से लेकर तमाम क्षेत्रों की हस्तियां इस कार्यक्रम में मौजूद हैं। राम मंदिर आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाने वाले लोगों की भी यहां मौजूदगी हुई है। राम मंदिर के आकार लेने के बाद प्राण प्रतिष्ठा समारोह में साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती भी पहुंची हैं। 90 के दशक में दोनों ने राम मंदिर आंदोलन को एक अलग स्वरूप दिया था। राम के मुद्दे को घर-घर तक पहुंचने में दोनों की बड़ी भूमिका थी। आज जब दोनों अपने उसे आंदोलन को साकार रूप लेते हुए दिखाई तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। यह आंसू उस संघर्ष के परिणाम की कहानी को कहते हैं, जिसे रामभक्तों के जरिए पूरा कराया गया।

 

उमा भारती- साध्वी ऋतंभरा का बड़ा योगदान

 

उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा का मंदिर आंदोलन में अहम योगदान रहा है। 6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में लाखों कारसेवक पहुंचे थे तो उनके बीच साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती के भाषणों का प्रभाव था। लोग बार- बार उग्र हो गए। लाखों कारसेवक जब उग्र हो गए। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल जब कारसेवकों को नियंत्रित करने में विफल हो गए। उस समय उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा और आचार्य धर्मेंद्र ने मंच से कारसेवकों को कंट्रोल किया। दरअसल, उस समय सबकुछ कारसेवकों के कंट्रोल में सब कुछ था। ऐसे में आचार्य धर्मेंद्र रामकथा कुंज के मंच कारसेवकों से प्रसाद लेने की अपील कर रहे थे। वे बाबरी की ईंटों को लेने की बात कर रहे थे।

उमा भारती ने उस दिन कहा था कि काम पूरा नहीं हुआ है। जब तक काम पूरा न हो जाए, परिसर न छोड़ें। पूरा इलाका समतल करना है। इस तमाशे में उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा और आचार्य धर्मेंद्र की भूमिका सबसे खास थी। 1992 की कार सेवा में उमा भारती ने दो नारा दिया। एक नारा था, ‘राम नाम सत्य है, बाबरी मस्जिद ध्वस्त है’। वहीं, दूसरा नारा था, ‘एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो’। ये नारे कारसेवकों के प्राण वायु बन गए थे।

 

भाषणों ने बनाया माहौल

 

राम मंदिर आंदोलन के दौरान उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा के भाषणों ने अलग माहौल बनाया। दोनों नेताओं के भाषण के ऑडियो कैसेट उस समय बनाए जाते थे। हिंदू वर्ग के बीच इन कैसेटों को बांटा जाता था। विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस और भाजपा के कार्यकर्ता गुपचुप तरीके से इन कैसेटों को लोगों को पहुंचाते थे। उनके भाषणों का ऐसा प्रभाव था, जिसने हिंदुओं को राम के प्रति आकर्षित किया। लोगों में राम मंदिर निर्माण को लेकर एक अलग भावना पैदा हुई। आज जब दोनों अयोध्या पहुंची तो उनकी आंखों में संकल्प से सिद्धि की खुशी साफ झलकी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here