‘अर्जुन’ से लेकर ‘भीम’ जैसी जिम्मेवारी भी
दीपक कुमार तिवारी
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में एक बात दावे के साथ कही जा सकती है, वो ये कि नीतीश कब क्या करेंगे, किसी को नहीं पता? हाल का उदाहरण ले लीजिए, उनके मंत्री अशोक चौधरी ने कुछ ऐसा ट्वीट किया, जिसके मायने सीएम नीतीश से जोड़ कर निकाले जाने लगे। बात उन्होंने बढ़ती उम्र के बारे में की थी। इसी बीच उन्हें सीएम आवास बुलाया गया। लोगों को लगा कि इनकी छुट्टी होगी। लेकिन हुआ कुछ और… दरअसल अशोक चौधरी नीतीश के ‘पांडव प्लान’ का हिस्सा हैं।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने चुन-चुन कर पांच लोगों को जिम्मेदारी सौंपी है। माना जा रहा है कि इन्ही पांच नेताओं यानी ‘पांडवों’ को नीतीश ने बिहार चुनाव की जिम्मेदारी अप्रत्यक्ष रूप से सौंप दी है। किसी के हाथ में रथ है तो किसी के हाथ में ‘तीर’। हर किसी की अलग-अलग जिम्मेवारी है। यानी जिसकी जैसी काबिलियत उसकी वैसी भूमिका।
इसमें पहले पांडव हैं संजय झा। इन्हें नीतीश का ‘धर्मराज’ भी कह सकते हैं। मानेगा कोई नहीं, लेकिन इसे सच के करीब ही मानिए कि तिबारा नीतीश कुमार को एनडीए में लाने की पहल करने वाले संजय झा ही थे। शायद इसीलिए सीएम नीतीश कुमार ने इन्हें सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। संजय झा को बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जदयू का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।
दूसरे नंबर पर हैं पूर्व आईएएस मनीष वर्मा। सीएम नीतीश कुमार ने इन्हें न सिर्फ जदयू में आरसीपी सिंह की जगह लाकर खड़ा किया बल्कि 4 माह का ‘अज्ञातवास’ भी दिया। ‘नकुल’ की तरह अज्ञातवास का मतलब ये नहीं कि इन्हें सजा मिली, इन्हें 4 महीने के लिए बिहार घूमने की जिम्मेदारी दी गई है। शायद चुनाव से पहले नीतीश बिहार की ग्राउंड रिएयलिटी जानना चाहते हैं। इसके लिए एक पूर्व नौकरशाह से बेहतर और कौन हो सकता था।
‘पांडव’ नंबर 3- अशोक चौधरी।इनके बारे में कुछ सोचना भी मुश्किल था। इनकी एक कविता के बाद तो अशोक चौधरी की जदयू से छुट्टी तक के कयास लगा लिए गए थे। लेकिन हुआ उल्टा, पांडवों में इन्हें ‘भीम’ की संज्ञा भी दे सकते हैं। अशोक चौधरी ने तमाम अनुमानों को धत्ता बता दिया। सीएम नीतीश ने इन्हें जदयू का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया है।
‘पांडव’ नंबर 4- निखिल मंडल।इनकी भूमिका पांडवों में अर्जुन की तरह कही जा सकती है। इनका सिर्फ एक ही परिचय नहीं है कि ये मंडल आयोग के जनक और पूर्व सीएम बीपी मंडल के पोते हैं। एक युवा नेता, जो दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ा है, जिसका ध्यान ‘चिड़िया की आंख’ वाले लक्ष्य पर है। जो कानून यानी लॉ की पढ़ाई कर चुका है। फिलहाल निखिल मंडल ने अपने गृह क्षेत्र मधेपुरा में डेरा डाल रखा है। माना जा रहा है कि मधेपुरा के जरिए निखिल पूरे कोसी को नाप रहे हैं।
‘पांडव’ नंबर 5- श्याम रजक।इन्हें नीतीश की पांडव सेना का सहदेव भी कह सकते हैं। 2005 में श्याम रजक जंगलराज के मुद्दे पर लालू को छोड़ नीतीश के साथ आ गए थे। इसके बाद फिर इनका मन डोला और ये लालू के साथ हो लिए। लेकिन जब राजद में इनके मुताबिक इनकी उपेक्षा हुई तो इन्हें नीतीश ने फिर से अपना कर पार्टी में बड़ा पद दिया। खास बात ये कि श्याम रजक राजद की सियासी कमजोरियों से वाकिफ हैं। ऐसे में ये भी नीतीश के काम आ सकते हैं।