दरअसल जेपीसी के सामने विपक्ष की ओर से वक्फ संशोधन बिल के कुल 44 खंडो में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया था, जो अस्वीकार हो गया है। उधर सत्ता पक्ष से जुड़े हुए सांसदों ने जो 14 खंडो में संशोधन का प्रस्ताव दिया था वह स्वीकार हो गया है. आसान शब्दों में बात करें तो लोकसभा में पेश हुए वक्फ संशोधन बिल में कुल 44 अलग अलग प्रावधान रखे गए थे। जब बिल संसद की संयुक्त समिति के सामने आया तो सिर्फ सत्ता पक्ष के 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया। अब जब विपक्ष की ओर से वक्फ संसोधन बिल के 44 खंडों में जो संशोधन प्रस्ताव लाया गया था उसे अस्वीकार कर जेपीसी ने विपक्ष के हंगामे को न्योता दिया है।
दरअसल वक्फ बोर्ड एक संवैधानिक संस्था है जो मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों का प्रबंधन और देखरेख करती है। यह बोर्ड धार्मिक, शैक्षिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए संपत्तियों का उपयोग सुनिश्चित करता है। वक्फ संपत्तियों में मस्जिदें, मदरसे, कब्रिस्तान, और अन्य धार्मिक स्थल शामिल होते हैं। इन संपत्तियों का उपयोग सामुदायिक विकास और जनकल्याण के कार्यों में किया जाता है। वक्फ बोर्ड संपत्तियों का प्रबंधन करता है और यह सुनिश्चित करता है कि इनका उपयोग वक्फ के मूल उद्देश्यों के अनुसार हो रहा है। बोर्ड संपत्तियों की देखरेख, उनके रखरखाव और आय-व्यय का प्रबंधन करता है। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों पर होने वाले अतिक्रमण और अनधिकृत कब्जों को रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई भी करता है।
वक्फ संपत्ति की पहचान के लिए वक्फ एक्ट 1995 के तहत एक रजिस्टर रखा जाता है, जिसमें सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण दर्ज होता है। यह रजिस्टर सार्वजनिक होता है और कोई भी व्यक्ति इसे देख सकता है। वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति पर दावेदारी ठोकने से पहले सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करता है। यदि किसी संपत्ति पर विवाद होता है तो वक्फ बोर्ड संबंधित अदालत में जाकर अपने अधिकारों का दावा करता है। वक्फ संपत्तियों का उपयोग धार्मिक, शैक्षिक और सामाजिक कार्यों के लिए किया जाता है. इन संपत्तियों से होने वाली आय का उपयोग समुदाय के कल्याण और विकास के कार्यों में किया जाता है. वक्फ बोर्ड का उद्देश्य संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित करना और उन्हें संरक्षण प्रदान करना है।