नूर इनायत खान के पिता इनायत खान भारतीय थे और उनका जन्म बड़ौदा में हुआ था। इनायत खान के नाना प्रसिद्ध संगीतकार उस्ताद मौला बख्श खान थे। मौला बख्श की पत्नी कासिम बीबी मैसूर के टीपू सुल्तान की पोती थीं
द न्यूज 15
नई दिल्ली । दुनियाभर में कई जासूसों के किस्से हम लोगों ने सुने हैं। इन्हीं में से एक नाम भारतीय मूल की जासूस नूर इनायत खान का भी था। जासूस के बारे में कहानियां जितनी रोमांचक होती हैं, उतनी ही जासूसों के लिए खतरनाक भी। नूर इनायत खान की कहानी कुछ ऐसे ही जोखिमों से भरी रही। नूर पहले ब्रिटेन की रॉयल एयरफोर्स की महिला विंग से जुड़ी फिर खुफिया एजेंसी में शामिल होकर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर जैसे तानाशाह की जासूसी की।
बीबीसी के मुताबिक, नूर इनायत खान का जन्म 1914 में रूस के मास्को में हुआ था। वह भारतीय पिता और एक अमेरिकी मां की संतान थी। पहले विश्व युद्ध के दौरान नूर का परिवार लंदन चला गया फिर उसके बाद वह पेरिस में बस गए। नूर ने अपना बचपन पेरिस में ही बिताया लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब हालत ख़राब हुए तो नूर ब्रिटेन चली आई। 1940 के दौरान, नूर इनायत खान का मकसद फासीवाद से लड़ना था। नूर का मानना था कि उन्हें जिस देश ने पनाह दी उसके लिए कुछ किया जाए। पहले वह सेना में शामिल हुई फिर विंस्टन चर्चिल द्वारा बनाए गए एक गुप्त खुफिया संगठन में एक विशेष अभियान कार्यकारी (एसओई) के रूप में काम किया। इसी दौरान उन्हें खास प्रशिक्षण के बाद रेडियो ऑपरेटर बनाकर पेरिस भेजा गया।
माना जा रहा था कि नूर इनायत खान जिस अभियान के लिए पेरिस जा रही है उसमें छह सप्ताह से अधिक जीवित रहने की उम्मीद नहीं थी। उस वक्त नूर इनायत खान केवल 29 वर्ष की थी। फ्रांस में उन्होंने नाजी और हिटलर से जुड़ी कई सारी गुप्त जानकारियां इकट्ठा की। हालांकि, इस दौरान नूर के नेटवर्क के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया जा रहा था लेकिन नूर फ्रांस से लौटी नहीं।
इन गिरफ्तारियों के कुछ महीनों बाद नूर को भी पकड़ लिया गया। दरअसल, नूर ने अपने किसी करीबी के सहयोगी की बहन को अपना राज साझा कर दिया था। उसने खूबसूरती में ईर्ष्या के चलते जर्मनी और नाजी एजेंट्स के सामना नूर का राज खोल दिया। इसके बाद साल 1943 में नूर को उनके घर से गिरफ्तार कर कई दिनों तक प्रताड़ित किया गया, ताकि राज सामने आ सके।
कहानी मोसाद के जासूस एली कोहेन की जो बनने वाला था दुश्मन देश का रक्षा मंत्री : कई प्रयासों के बाद भी ब्रिटेन के खुफिया मिशन की जानकारी न मिलने के बाद नूर को म्यूनिख के पास दक्षिणी जर्मनी में एक यातना शिविर में भेज दिया गया। यहीं, 1944 को नूर इनायत खान को गोली मार दी गई। कई साल बाद जांबाज महिला जासूस नूर इनायत खान को 1949 में ब्रिटेन में सर्वोच्च सम्मान जॉर्ज क्रॉस और मरणोपरांत सिल्वर स्टार के साथ फ्रेंच क्रॉइक्स डी गुएरे से सम्मानित किया गया था । नूर इनायत खान के पिता इनायत खान का जन्म बड़ौदा में हुआ था। वह सूफी मत को मानते थे और पश्चिम में सूफी आदेशों की स्थापना उन्होंने ही की थी। इनायत खान के नाना प्रसिद्ध संगीतकार उस्ताद मौला बख्श खान थे, वहीं मौला बख्श की पत्नी कासिम बीबी मैसूर के टीपू सुल्तान की पोती थीं। इसलिए नूर इनायत खान का संबंध एक राजघराने से भी था।