राजेश बैरागी
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले में आज बहुत सी दुकानें बंद थीं।ऐसी बंद दुकानों के स्वामियों के यहां कोई सुख ब्याह शादी या दुख किसी निकट संबंधी की क्षति जैसा होने की जानकारी नहीं मिली। परचून से लेकर टायर पंचर लगाने वाले तक बहुत से दुकानदार अभूतपूर्व छुट्टी पर थे। और तो और प्रधानमंत्री जन औषधि बेचने वाला दुकानदार भी शटर बढ़ाकर गायब था।जो दुकान खोलकर बैठे थे उनकी दृष्टि ग्राहक पर कम और सड़क पर आने जाने वालों पर अधिक थी। उनके चेहरों का नूर गायब था और जबान सूखी थी। यदि किसी दुकान के आगे कोई साधारण सी कार आकर रुक जाए और कुछ देर तक उसमें से कोई न उतरे तो समझो कि दुकानदार को हार्ट अटैक जैसा अनुभव होने लगे। बाजारों में हल्ला मच रहा है कि जीएसटी वाले छापा डाल रहे हैं। उनके साथ दूसरे विभागों के अलावा पुलिस भी है। व्यापारियों के खरीद बिक्री, लेनदेन को जांचा जा रहा है। चूंकि एक भी व्यापारी उनकी जांच या विभागीय मानकों पर खरा नहीं उतर सकता, इसलिए लदना तय है। तो फिर छोटे और औसत दर्जे के व्यापारी क्या करें? सबसे अच्छा तो यही है कि जब तक छापों की गर्मी है, दुकान ठंडी रखी जाए। झड़ और झगड़े सदा नहीं रहते, ऐसा बुजुर्गो से सुनते आए हैं। राज्य के 75 में से 71 जिलों में एक साथ छापों की कार्रवाई चल रही है। निशाने पर छोटे,मोटे और औसत दर्जे के व्यापारी हैं। अभी तक कर चोरी की बरामदगी भी बहुत नहीं है। ऐसा पहले कभी हुआ नहीं है लिहाजा इस कार्रवाई का मतलब समझ नहीं आ रहा। जेवर विधायक धीरेन्द्र सिंह ने व्यापारियों से बिना डरे दुकान खोलने का आह्वान किया है। उन्होंने कोई हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। सरकार की कार्रवाई और सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक का यह आह्वान समूचे माहौल को और रहस्यमय बना रहा है। एक बड़े परचूनिये ने दुकान खोल रखी थी। मैंने पूछा,-तुमने दुकान बंद नहीं की। उसने फीकी हंसी के साथ कहा,- डर कर घर बैठने से ही क्या होगा।’ (साभार नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)