Noida News : जानवर के काटने पर घरेलू उपचार न करें, तुरंत लगवाएं एंटी रेबीज टीका : डा. अमित

0
275
Spread the love

Noida News : विश्व रेबीज दिवस पर जगह-जगह हुईं गोष्ठी, जख्म को साबुन और साफ बहते पानी से 15 मिनट तक अच्छी तरह धोएं। घाव पर एंटीसेप्टिक लगाएं। घाव को खुला छोड़ दें, टांके न लगाएं।

नोएडा। विश्व रेबीज दिवस पर बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय, जिला अस्पताल, स्कूलों सहित तमाम जगह जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में वक्ताओं ने रेबीज संक्रमण के बारे में जानकारी दी और कहा कि कुत्ता, बिल्ली, बंदर और जिस भी जानवर में रैबीन पायी जाती है उसके काटने पर घरेलू उपचार न करें, चिकित्सक की सलाह पर एंटी रेबीज टीका अवश्य लगवाएं।

पहला रेबीज टीका विकसित करने वाले फ्रांस के प्रसिद्ध रसायन विद और सूक्ष्म जीव विज्ञानी लुई पाश्चर की पुण्यतिथि पर 28 सितम्बर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। रेबीज की रोकथाम और इसके प्रति समुदाय में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष दिवस की थीम ‘रेबीज वन हेल्थ-जीरो डेथ’ निर्धारित की गयी है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में हुई जागरूकता गोष्ठी में डिस्ट्रिक्ट पब्लिक हेल्थ एक्पर्ट एवं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी ने बताया- रेबीज एक वायरल संक्रमण है, जो मनुष्य और जानवरों में हमेशा घातक होता है। इस बीमारी से बचना पूरी तरह संभव हैं। रेबीज की बीमारी मनुष्य़ को कुत्ते बिल्ली, बंदर आदि जैसे जानवरों के काटने या खरौंच के कारण होती है। लक्षण आने से पूर्व एंटी रेबीज वैक्सीन के साथ इसको पूरी तरह से रोका जा सकता है।
डा. अमित ने बताया- यदि किसी को जानवर काट ले तो क्या करना चाहिए।

उन्होंने कहा सबसे पहले जख्म- घाव को साबुन और साफ बहते पानी से 15 मिनट तक अच्छी तरह धोएं। घाव पर एंटीसेप्टिक (आयोडीन, स्प्रिट इत्यादि) लगाएं। घाव को खुला छोड़ दें, टांके न लगाएं। तुरंत चिकित्सक की सलाह से एंटी रेबीज और इम्यूनोग्लोबिन सिरम का टीका लगवाएं। उन्होंने बताया- रेबीज से बचाव के लिए टीका त्वचा में या मांस पेशियों में लगाया जाता है। जानवर के काटने पर पहला टीका उसी दिन जरूर लगवायें। उन्होंने कहा घरेलू उपचार जैसे –घाव पर हल्दी नमक- तेल इत्यादि लगाने से बचना चाहिए।

गोष्ठी में अन्य वक्ताओं ने सलाह दी कि समय-समय पर पालतू जानवरों को नियमित एंटी रेबीज टीका जरूर लगवाते रहें। पालतू जानवरों को हमेशा अपनी निगरानी में रखें। अपने पालतू जानवरों को आवारा जानवरों से दूर रखें। बताया गया कि बुखार आना, सिरदर्द, मुंह में अत्याधिक लार बनना, व्यावहारिक ज्ञान शून्य होना, मानसिक विक्षिप्तता, हिंसक गतिविधियां,अति उत्तेजक स्वभाव, अजीब तरह की आवाजें निकालना, हाइड्रोफोबिया (पानी से डर लगना), अपने में खोए रहना, शरीर में झनझनाहट होना, अंगों में शिथिलता आना, पैरालाइज हो जाना आदि रेबीज के लक्षण है। ऐसी किसी भी परिस्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और उपचार करवाएं। स्कूलों में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में आरबीएसके की टीम ने जानवरों के काटने पर क्या करें और क्या न करें बताया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here