राजेश बैरागी
क्या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में पांच बार आने मात्र से किसी भी पीड़ित,(क्षमा करें) आवेदक की समस्या का समाधान हो जाता है? कई कई वर्षों से भटक रहे लोगों का विचार हालांकि ऐसा नहीं है। पिछले लगभग अठारह दिनों से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में प्रवेश हेतु लागू पास व्यवस्था से कोई भी आगंतुक एक महीने में केवल पांच बार ही आ सकता है। प्राधिकरण की वेबसाइट पर ऑनलाइन पास बनाने का यही नियम है। हालांकि अमूमन सभी सेवाओं को ऑनलाइन और चेहरा विहीन करने के प्रयासों के बाद किसी भी कार्य के लिए प्राधिकरण आने की आवश्यकता ही नहीं होनी चाहिए। परंतु अभी यह व्यवस्था पूरी तरह वयस्क नहीं हुई है। इसलिए लोग ऑनलाइन आवेदन करते हैं और अपने आवेदन को धक्का देने प्राधिकरण भी आते हैं।ऐसे लोगों को प्राधिकरण में केवल पांच बार प्रवेश करने की अनुमति है। प्राधिकरण ने यह व्यवस्था गहन विचार करने के बाद ही लागू की होगी।
प्रश्न यह है कि ऑनलाइन आवेदन के बाद किसी को भी प्राधिकरण आने की आवश्यकता ही क्या है। संभवत व्यवस्था लागू करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों को यह अहसास रहा होगा कि व्यवस्था ऑनलाइन होना अलग बात है और कार्य का निष्पादन होना अलग बात। इसीलिए पांच बार आवेदक को बुलाने की व्यवस्था लागू की गई है।अगला प्रश्न यह है कि क्या पांच बार आने पर आवेदक का काम हो जाएगा? और पांच बार ही क्यों? एक बार में ही क्यों नहीं? अपने काम के लिए कई वर्षों से प्राधिकरण के चक्कर लगा रहे पीड़ितों (क्षमा करें), आवेदकों या न्याय के अभिलाषियों के लिए यह व्यवस्था थोड़ी कठिनाई भरी है। उन्हें प्रतिमाह अनेक बार प्राधिकरण आना होता है।हर बार उन्हें बताया जाता है कि फलां फलां अधिकारी के हस्ताक्षर अभी शेष हैं।उन अधिकारियों की मनुहार ऑनलाइन तो नहीं हो सकती है। हालांकि अभिलाषियों को न्याय देने से इंकार करने से अच्छा है कि उन्हें प्रवेश देने से इंकार कर दिया जाए। अन्याय के आरोप से बचने का यह अनूठा तरीका है।