चरण सिंह
आज के समाजवादियों की गजब स्थिति है। समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसवाद की तर्ज पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गैर संघवाद का नारा तो दे दिया पर वह सत्ता के लिए संघ की गोद में ही जा बैठे। जिन नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने बिहार में घुसने नहीं दिया था उन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार उनके पैर छूते नजर आते हैं। ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार ने ऐसा कोई अपराध कर रखा है जिसके डर से उन्होंने पीएम मोदी के सामने आत्मसमर्पण कर रखा है। ऐसा भी नहीं है कि अब नीतीश कुमार को ऐसा कोई लालच है कि पीएम मोदी के पैर छूकर वह अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करना चाहता है।
दरअसल आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार के सामने इस तरह के हालात पैदा कर दिये हैं कि नीतीश कुमार के सामने न केवल अपनी पार्टी जदयू को बचाना है साथ ही अब वह अपने बेटे निशांत कुमार को राजनीति में लांच करना है। नीतीश कुमार चाहते हैं कि अपने बेटे निशांत कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लांच कराया जाए। अगले साल बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए वह निशांत कुमार जदयू का सर्वमान्य नेता बनाना चाहता है।
नीतीश कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनोैती यह है कि लालू प्रसाद ने उनके दल जदयू मे सेंध लगा रखी है। उनके खासमखास रहे ललन सिंह भी लालू प्रसाद के संपर्क में माने जाते हैं। वह लालू प्रसाद और ललन सिंह की बढ़ती करीबी ही थी कि लोकसभा से पहले नीतीश कुमार ने ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर पार्टी की कमान खुद संभाल ली थी। आज की तारीख में उन्होंने संजय झा को पार्टी की कमान सौंप रखी है। मदन सहनी ने पार्टी में नौकरशाह के हावी होने का आरोप लगाकर नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। नीतीश कुमार चाहते हैं कि वह निशांत कुमार को ऐसे राजनीति में लांच करें कि न केवल जदयू बल्कि एनडीए में भी उनका कोई विरोध न हो। प्रधानमंत्री के माध्यम से यदि निशांत कुमार को लांच कराया जाता है तो निशांत कुमार का विरोध भाजपा नेता भी नहीं कर पाएंगे। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जदयू में प्रधानमंत्री कैसे लांच करेंगे। ऐसे में नीतीश कुमार निशांत कुमार को लांच करने के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री को बुलाकर उन्हें लांच करा सकते हैं।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव पर वंशवाद का आरोप लगाते रहे हैं तो अपने बेटे को लांच कराएंगे तो उन पर वंशवाद का आरोप नहीं लगेगा क्या ? या फिर पीएम मोदी यदि वंशवाद का विरोध जताते हुए देश में एक लाख बिना पहचान के युवाओं को राजनीति में लाने की बात कर हैं तो निशांत कुमार को लांच करने पर उन पर उंगली नहीं उठेगी ? ऐसे में रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान, चौधरी चरण सिंह के पौते जयंत चौधरी और शरद पवार के भतीजे अजित पवार भाजपा के साथ आये तो प्रधानमंत्री ने संभाल लिया था। ऐसे में नीतीश कुमार अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं।