रोहतास सिंह चौहान
ना तो जनवरी साल का पहला मास है और ना ही 1 जनवरी पहला दिन!
जो आज तक जनवरी को पहला महीना मानते आए है वो जरा इस बात पर विचार करिए ,,,,
सितंबर…सातवां, अक्टूबर… आठवां, नवंबर…नौवां और दिसंबर…दसवां महीना होना चाहिए। इस हिसाब से फरवरी माह साल का आखिरी और मार्च साल का पहला दिन होना चाहिए।
हिन्दी में सात को सप्त, आठ को अष्ट कहा जाता है, इसे अग्रेज़ी में sept तथा oct कहा जाता है…इसी से september तथा October बना, नवम्बर में तो सीधे-सीधे हिन्दी के “नव” को ही ले लिया गया है तथा दस अंग्रेज़ी में “Dec” बन जाता है जिससे December बन गया…इसके कुछ प्रमाण हैं!
जरा विचार करिए कि 25 दिसंबर यानि क्रिसमस को X-mas क्यों कहा जाता है ?
इसका उत्तर ये है की “X” रोमन लिपि में दस का प्रतीक है और mas यानि मास अर्थात महीना!चूंकि दिसंबर दसवां महीना हुआ करता था इसलिए 25 दिसंबर दसवां महीना यानि X-mas से प्रचलित हो गया, साल का आखिरी माह फरवरी होना चाहिए क्यों कि फरवरी में ही Leap year आता है, जब साल खत्म होता है तभी तो दिन का घट-बढ़ किया जाता है ना!
प्राचीन काल में अंग्रेज़ भारतीयों के प्रभाव में थे इस कारण सब कुछ भारतीयों जैसा ही करते थे और इंगलैण्ड ही क्या पूरा विश्व ही भारतीयों के प्रभाव में था जिसका प्रमाण ये है कि नया साल भले ही वो 1 जनवरी को माना लें पर उनका नया बही-खाता 1 अप्रैल से शुरू होता है !
लगभग पूरे विश्व में वित्त-वर्ष अप्रैल से लेकर मार्च तक होता है यानि मार्च में अंत और अप्रैल से शुरू!
हम भारतीय अप्रैल में अपना नया साल मनाते थे तो क्या ये इस बात का प्रमाण नहीं है कि पूरे विश्व को भारतीयों ने अपने अधीन रखा था!
इसका अन्य प्रमाण देखिए,
अंग्रेज़ अपनी तारीख या दिन 12 बजे रात से बदल देते है,जब कि दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है तो 12 बजे रात से नया दिन का क्या तुक बनता है?
तुक बनता है भारत में नया दिन सुबह से गिना जाता है, सूर्योदय से करीब दो-ढाई घंटे पहले के समय को ब्रह्म-मुहूर्त्त की बेला कही जाती है और यहाँ से नए दिन की शुरुआत होती है,यानि कि करीब 5.30 के आस-पास, और इस समय इंग्लैंड में समय 12 बजे के आस-पास का होता है।
लेकिन विडम्बना देखिए,हम आज उनका अनुसरण करते हैं;जो कभी हमारा अनुसरण किया करते थे।
मैं बस ये कहूंगा कि देखिए खुद को और पहचानिए अपने आपको!
नया वर्ष हिंदी चैत्र मास से शुरू होता है हम भारतीय गुरु हैं, सम्राट हैं किसी का अनुसरण नहीं करते है,अंग्रेजों का दिया हुआ नया साल हमें नहीं चाहिये, जब सारे त्यौहार भारतीय संस्कृति के रीति रिवाजों के अनुसार ही मनाते हैं तो नया साल क्यों नहीं….??