नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश भर के किसानो ,खासकर छोटी जोत वाले भू मालिकों से प्राकृतिक तरीके से खेती करने का आह़वान करते हुए कहा कि यह खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के साथ साथ और कुदरत के साथ संतुलन स्थापित कर सकती है। प्रधानमंत्री ने गुजरात के आणंद में “प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय सम्मेलन”के समापन समारोह को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा “हमें खेती को रासायनिक प्रयोगशाला से प्राकृतिक प्रयोगशाला तक ले जाने की आवश्कता है और जब मैं प्रकृति की प्रयोशाला की बात करता हूं तो यह पूरी तरह विज्ञान आधारित है। प्राकृतिक खेती के अलावा स्वदेशी फसलों की भूमिका भी काफी अहम है और जिस भूमि में कम सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है वह सूखे और बाढ़ जैसी स्थितियों को आसानी से झेल लेती है। ”
उन्होंने कहा “इस समय पूरा विश्व पुराने तौर तरीकों को अपनाने का मंत्र दोहरा रहा है ,ऐसे में हमें यह याद रखने की आवश्यकता है कि हमारी सभ्यता कृषि पर आधारित थी , कल्पना करिए कि उस समय कृषि के बारे में हमारा ज्ञान कितना उन्नत रहा होगा। ”
उन्होंने प्राचीन काल में ऋग वेद ,अथर्व वेद, पुराणों में वर्णित खेती के तरीकों और अन्य मनीषियों की बातों का भी जिक्र किया तथा एक संस्कृत श्लोक पढृकर कवि घाघ की कुछ पंक्तियों का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल ही में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में उन्होंने पूरे विश्व को पर्यावरण के लिए जीवन शैली अपनाने की चुनौती को आत्मसात करने का आग्रह किया। मोदी ने कहा “21वीं सदी में भारत विश्व की अगुवाई करने जा रहा है और किसानों की भी इसमें अहम भूमिका होने जा रही है। आजादी का अमृत महोत्सव मनाने और अमृत काल की और जाने में भारत विश्व को खाद्य सुरक्षा का बेहतर विकल्प प्रदान करेगा तथा प्राकृतिक खेती के जरिए कुदरत के साथ संतुलन भी स्थापित करेगा। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि रासायनिक ऊर्वरकों ने हरित क्रांति में निर्णायक भूमिका अदा की थी लेकिन अब इसका कोई विकल्प खोजा जाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।”
इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देव व्रत ने इस पद पर आने से पहले प्राकृतिक कृषि के अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा उन्होंने न केवल इस पद्धति को अपनाया बल्कि शून्य लागत वाली प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाले सुभाष पालेकर के साथ मिलकर अपनी जमीन की खोई हुई ऊर्वरता फिर से हासिल की । उन्होंने किसानों को बहुत ही आसान तरीके से आर्गेनिक कीटनाशक और खरपतवार नाशक बनाने के गुरू बताए तथा जमीन में नाइट्रोजन स्थिरीकरण को सुनिश्चित करने का तरीका भी बताया।
इस मौके पर प्राकृतिक खेती पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई और इस कार्यक्रम को गृह मंत्री तथा देश के पहले सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भी संबोधित किया।
इस कृषि सम्मेलन का आयोजन 14 दिसंबर से किया जा रहा है और इसमें लगभग 5000 किसानों ने व्यक्तिगत तौर पर हिस्सा लिया और विभिन्न राज्यों में कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि तकनीक प्रबंधन एजेंसी तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की मदद से इसे देश के अन्य हिस्सो में वर्चुअली भी आयोजित किया गया।