मृतक के परिजनों से मिले सांसद करण भूषण सिंह, दिया जल्द आर्थिक सहायता व न्याय का आश्वासन!

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लाचार व बेसहारा हुए परिवार की डेढ़ महीने बाद आयी सांसद को याद, उचित कार्रवाई का दिया आश्वासन

गोंडा/बाराबंकी (ऊ प्र) : डेढ़ महीने बाद आज कैसरगंज सांसद करण भूषण सिंह ने अपने क्षेत्र के ग्राम दूबे पुरवा, आटा पंचायत, परसपुर में मृतक करन मिश्रा के शोक संतप्त परिवार व उनके वृद्ध एवं बीमार पिता दिनेश मिश्रा जो आंशिक रूप से विकलांग भी हैं, से मुलाकात की। उन्होंने घर पहुंच कर विस्तृत में मृतक, घटना व परिवार की स्थिति के बारे में हाल खबर ली व कुशलक्षेम जाना।

प्रधान, ग्राम एवम क्षेत्र वासियों ने मुफलिस परिवार के लिए सांसद जी से निवेदन कर वृद्ध, बीमार, बेसहारा, विकलांग पिता व माता के लिए आर्थिक सहायता व न्याय मांग पत्र सौंपा जिसपर सांसद जी ने परिवार की आर्थिक सहायता व न्याय दिलवाने का आश्वाशन दिया। यहां तक मुफलिस व लाचार परिवार के द्वार पर सांसद जी के बैठ बिठाव व चाय नाश्ते की व्यवस्था भी मौजा कोटेदार, प्रधान व चेयरमेन ने की। परिवार की स्थिति आदि जान शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो ऐसे परिवार की सहयाता के लिए मानवीयता के मद्देनजर आगे न आए जिसका इकलौता जवान पालक पुत्र दुर्घटना की भेंट चढ़ गया हो। पत्र में भी पारिवारिक स्थिती व उनके जीवनयापन के लिए सांसद जी से आर्थिक सहायता के लिए प्रधान, ग्राम एवम क्षेत्र वासियों की तरफ से बेसहारा लाचार बीमार पिता व माता के लिए सांसद जी निधि कोष से तत्काल एक करोड़ की आर्थिक सहायता की मांग की।

मामला है बाराबंकी स्थित मसौली थाने के अंतर्गत आने वाले रा. राजमार्ग 927 का जहां गत 17 जुलाई कोमें हुई तीस वर्षीय इकलौते नवयुवक परिवार पालक करन मिश्रा की दुर्घटना में मौत का है जब वृद्ध बीमार पिता माता बेसहारा हो गया, बहने भाई का अंतिम बार मुख भी न देख पाई व इस रक्षा बंधन से न तो भाई का हाथ रहा न साथ। कहने को तो यह राष्ट्रीय राजमार्ग है लेकिन जरवल से लखनऊ तक इसकी व्यवस्था जगल के रास्ते से कम नहीं है जिस पर न तो स्ट्रीट लाइट, डिवाइडर, सीसीटीवी कैमरा या स्पीडो मीटर आदि जैसी कोई व्यवस्था है लेकिन टोल (मौत) की पर्ची जरूर कटती है। परिवार के लिए उस काले दिन की दुर्घटना एवं परिवार की स्थिति जान जब प्रशासन व कोई भी नेता अभी तक आगे आया था तब इस मुद्दे को मीडिया ने प्रमुखता से उठाया जिसके नतीजन आज सांसद जी ने खाली हाथ दौरा तो किया एवम आश्वाशन भी दिया लेकिन वृद्ध- विकलांग पिता एवं माता को अभी भी नही पता की आर्थिक सहायता व आश्वाशन की समय सीमा कब पूर्ण होगी। जिस बुजुर्ग लाचार माता पिता को अपना बेटा खोए महीने से ऊपर हो गया हो, उसकी सुध आज तक किसी नेता या प्रशासन ने नहीं ली। परंतु जब यह मुद्दा मीडिया द्वारा अधिक ज्वलंत रूप से उठाया गया और तूल पकड़ने लगा तो तहसीलदार द्वारा परिवार की गरीबी को सिर्फ चंद किलो अनाज से तौला गया उसके बाद से मामला ठंडे बस्ते में है, तेहरवी पर खान पान के लिए कोटेदार ने अनाज दे सहायता की। लेकिन सवाल यह उठता है कि कुछ किलो अनाज लाचार परिवार का कितने दिनों का सहारा बनेगा जिसके एकमात्र सहारे को अब कभी वापस नहीं आना है? प्रश्न यह भी उठता है कि
क्या गरीब लाचार परिवार के लिए सांसद निधि/मुख्यमंत्री राहत कोष सिर्फ चुनाव के समय ही खोले जाते है?

परिवार जो नवासे में मिले जर्जर मकान में रह रहे हैं, जिसमें शौचालय तक की व्यवस्था भी नहीं है और जो कभी भी ध्वस्त हो सकता है, जिसके लिए इकलौते जवान पुत्र ने मकान बनाना शुरू तो किया लेकिन नींव से ज्यादा नहीं बना पाया क्यूंकि वृद्ध, आंशिक विकलांग पिता को गंभीर बीमारी ने घेर लिया था तो आमदनी का सारा हिस्सा उनकी दवा पानी में चला जाता था और लाचार, बेसहारा बीमार पिता व माता की इच्छा अब तो एकमात्र सहारे को खो देने के बाद स्वप्न सी लगती है जो कोई फरिश्ता ही पूरा कर सकता है।

जब इस विषय पर मृतक के पिता दिनेश मिश्रा से बातचीत की गयी तो उन्होंने कहा कि “सांसद जी ने सांत्वना और आश्वासन तो दिया परंतु धरातल पर सहायता करने की कोई ठोस बात नहीं हो पाई। अगर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ने हमारी आपबीती न बताई होती तो शायद ही कोई चुनाव से पहले हमारी सुध लेता। ग्रामवासियों मीडिया व पत्रकारों पर अपना भरोसा जताते हुए पुरजोर मीडिया से निवेदन किया कि पत्रकारों की कलम की आवाज तब तक नही थमे जब तक इस बेबस लाचार परिवार को किसी फरिश्ते द्वारा आर्थिक सहायता एवम न्याय नहीं मिल जाता।

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