महाराष्ट्र में सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बड़ा फैसला सुनाया है। उद्धव गुट की अर्जी को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस फैसले से एकनाथ शिंदे कैंप को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग को यह निर्णय लेने की अनुमति दे दी कि शिवसेना का कौन सा बड़ा असली है और किसे शिवसेना का चुनावी चिह्न दिया जान चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए मामले में कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और साथ ही उद्धव ठाकरे खेमे की याचिका को खारिज कर दिया। ज्ञात हो कि यहां मसले में दूसरे धड़े का नेतृत्व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कर रहे हैं। शिंदे गुट का तर्क है कि शिवसेना के ज्यादातर विधायक और सांसद उनके खेमे का हिस्सा है। ऐसे में शिवसेना का चुनाव चिह्न उन्हें दिया जाना चाहिए। गौरतलब है कि इससे पहले शिवसेना सुप्रीमो और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा था कि उन्हें विश्वास है कि उनकी टीम विद्रोही के खिलाफ कानूनी लड़ाई में विजयी होगी। शिंदे ने जून माह में भाजपा की मदद से उद्ध ठाकरे की महाविकास अघाड़ी सरकार गिरा दी थी और 30 जून को सीएम पद की शपथ ली।
23 अगस्त को सुप्रीम कोेर्ट ने उधव ठाकरे और शिंदे के नेतृत्व में गुटों द्वारा दायर याचिकाओं को पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजा था, जिसमें दलबदल विलय और अयोग्यता से संबंधित कई संवैधानिक प्रश्न उठाये गये थे। ठाकरे के वकीलों ने पहले कहा था कि शिंदे के प्रति वफादार पार्टी विधायक किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय करके ही संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से खुद को बचा सकते हैं। जवाब में शिंदे समूह ने तर्क किया था कि दलबदल विरोधी कानून उस नेता ने के लिए हथियार नहीं हो सकता जिसने अपनी ही पार्टी का विश्वास खो दिया है।