लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। एनडीए और इंडिया गठबंधन चुनावी बिसात पर अपनी अपनी मोहरे सजा रहे हैं। बीजेपी ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के माध्यम से देशभर में अपने पक्ष में माहौेल बना लिया है पर इंडिया गठबंधन सीटों का बंटवारा नहीं कर पा रहा है। चाहे महाराष्ट्र हो, पश्चिम बंगाल हो, दिल्ली हो, पंजाब और हरियाणा हो या फिर उत्तर प्रदेश सभी जगहों पर सीटों के बंटवारे में पेंच फंसा हुआ है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया ने कह दिया है कि जहां जहां कांग्रेस लड़ना चाहत है वह अपने उम्मीदवार बताए।
उधर कांग्रेस 20 सीटें मांग रही है। बुधवार को दिल्ली में हुई सपा और कांग्रेस के नेताओं की बैठक में सीटों के बंटवारे को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है। समाजवादी पार्टी की ओर से राम गोपाल यादव, जावेद अली, उदयवीर मौजूद थे तो कांग्रेस की ओर से सलमान खुर्शीद, अविनाश पांडे, अजय राय और अराधना मिश्रा मौजूद थे। सलमान खुर्शीद का यह कहना है कि अब राहुल गांधी ही अखिलेश यादव से बात करेंगे। दर्शाता है कि सीटों के बंटवारे में बड़ा पेंच फंसा हुआ है। ऐसे ही पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी दो सीटों से ज्यादा सीटें ममता बनर्जी को देने को तैयार नहीं है। बिहार में भी यही हाल है कि कांग्रेस १० सीटें मांग रही है जबकि जदयू ने 17 सीटें मांग ली है और कांग्रेस और वामपंथी दलों को राजद से बात करने को कहा है। बिहार में राजद 17 और जदयू 17 बाकी छह सीटें कांग्रेस और वामपंथी दलोंं के लिए छोड़नी रणनीति लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के बीच बन रही है। ऐसे ही महाराष्ट्र में मामला फंसता नजर आ रहा है। 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में शिवसेना ज्यादा सीटें मांग रही है। महाराष्ट्र में शिवसेना को एकनाथ गुट के कब्जानेे के बाद उद्धव की शिवसेना की स्थिति कमजोर हुई है। शिवसेना 23 सीटें मांग रही है। झारखंड में भी पेंच फंसता नजर आ रहा है। पंजाब, दिल्ली और हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने पेंच फंसा दिया है। पंजाब में कांग्रेस के 8 सांसद कांग्रेस के होने के बावजूद आम आदमी पार्टी उसे कोॅई सीट देने को तैयार नहीं। ऐसे ही दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच पेंच फंसा हुआ है। दिल्ली में 7 सीटों में से आम आदमी पार्टी अधिकतर सीटें अपने पास रखना चाहती है।
दरअसल इंडिया गठबंधन में क्षेत्रिय दलों को चिंता सता रही है कि यदि कांग्रेस ने उनके राज्य में पांच पसार लिये तो उनके लिए दिक्कतें पैसा हो जाएगी। ऐसे ही कांग्रेस भी क्षेत्रीय दलों के ज्यादा भाव देने को तैयार नहीं है। सभी प्रदेशों में कांग्रेस ठीकठाक सीटें मांग रही है। अब देखना यह होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।