कोलकाता| कोलकाता और उसके तीन सैटेलाईट शहरों राजारहाट, बिधाननगर और न्यू टाउन को पर्यावरण के अनुकूल शहरों में बदलने के लिए राज्य सरकार ने एक फैसला किया है कि राज्य की राजधानी में 2030 तक केवल सीएनजी और ई-वाहन होंगे। हाल ही में एक बैठक में राज्य के परिवहन मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा, “राज्य में 2011 से, एक स्मार्ट सिटी, एक ग्रीन सिटी बनाने की योजना चल रही है। शहर में लंबे समय से एक पर्यावरण के अनुकूल ट्राम और एक भूमिगत मेट्रो है। इलेक्ट्रिक बसें शुरू करने की योजना है। कोलकाता में पहले से ही 300 सरकारी बसों को सीएनजी में बदल दिया गया है।”
कोलकाता नगर निगम के निवर्तमान मेयर ने कहा, “वर्तमान में कोलकाता में 100 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं और राज्य सरकार की शहर की सड़कों पर जल्द ही 1,000 से ज्यादा सीएनजी बसें शुरू करने की योजना है।”
हाकिम ने कहा, “हमने एक विस्तृत परिवहन योजना तैयार की है। हम धीरे-धीरे शहर से जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों को हटा देंगे और बेड़े को सीएनजी और बिजली से चलने वाले वाहनों से बदल देंगे।”
ऑटो भी सीएनजी और बिजली से चलेंगे। हाकिम ने कहा कि राज्य सरकार ने कोलकाता में 3,500 चाजिर्ंग स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है और वादा किया है कि दो साल में पाइप से सीएनजी शहर में पहुंच जाएगी।
उन्होंने कहा, “निजी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए, हम स्विच को प्रोत्साहित करने के लिए कर कटौती पर विचार कर सकते हैं।”
कोलकाता भारत के अधिक प्रदूषित शहरों में से एक है और अधिकांश गंदी हवा डीजल से चलने वाले सार्वजनिक परिवहन के कारण होती है।
हालांकि पर्यावरण विशेषज्ञों ने बताया कि सरकार ने अक्सर वह मुस्तैदी नहीं दिखाई, जिसका हाकिम ने वादा किया था। राज्य के परिवहन मंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार शहर को स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण देने के लिए पर्यावरण के अनुकूल सार्वजनिक परिवहन शुरू करने की इच्छुक है।
न्यू टाउन को पहले ही ग्रीन सिटी के रूप में पहचाना जा चुका है। पूरे न्यू टाउन को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए राज्य सरकार ने हर संभव प्रयास किया है। सोलर पैनल, अलग साइकिल ट्रैक, सार्वजनिक साइकिल शेयरिंग सिस्टम, ग्रीन बिल्डिंग, इलेक्ट्रिक चाजिर्ंग स्टेशन भी बनाए जा रहे हैं।
हाकिम ने कहा कि पहले चरण में कोलकाता और न्यू टाउन मॉडल शहर बनाने की योजना बनाई गई है और फिर इस मॉडल को राज्य के अन्य शहरों में भी शुरू किया जाएगा।