Farmers Protest
यह अपने आप में दिलचस्प है कि हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए बने संगठनों के कई अध्यक्ष हक़ हकूक की लड़ाई के विरोध में खड़े हो जाते हैं। देश की सबसे बड़ी संस्था सर्वोच्च न्यायालय की बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने किसानों के आंदोलन को गलत करार देते हुए किसानों को हटाने के लिए मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने किसानों के लिए पापी शब्द का इस्तेमाल करते हुए सर्वोच्च न्यायाधीश को पत्र लिख कर मांग की है कि वे स्वत: संज्ञान लेकर किसानों के खिलाफ कार्रवाई करें। देखने की बात यह है कि चाहे सरकार हो या बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जैसे लोग यह समझने को तैयार नहीं हैं कि किसान संगठन केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रही है। उनका कहना है कि उनके पिछले आंदोलन के समय केंद्र सरकार ने जो उनकी मांगें मानने की बात कही थी उस पर वह खरी नहीं उतरी है। उनके साथ विश्वासघात हुआ है। जब किसानों को दिल्ली में आने दिया जाएगा तो वह रामलीला मैदान या फिर संसद रोड पर प्रदर्शन करेंगे। इससे किसको क्या दिक्कत हो सकती है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि कर्पूरी ठाकुर, चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को दिए गए भारत-रत्न उसी बड़े काम को अंजाम देने की दिशा में सरकार की कवायद है। देखने की बात यह भी है कि 2020-21 के किसान आंदोलन में 750 किसानों की मौत हो गई थी। उत्तर प्रदेश के एक निर्वाचित भाजपा विधायक ने खुले आम ‘राष्ट्र-विरोधी’ किसान आंदोलनकारियों को गोली मारने का आह्वान किया था। गाजीपुर बॉर्डर पर भाजपा समर्थकों के साथ मिल कर किसान नेता राकेश टिकैत को सबक सिखाने की योजना बनाई थी। चारों तरफ से घिरे राकेश टिकैत की आंखों से बरबस आंसू निकल आए थे।