उत्तराखंड: उत्तराखंड के जोशीमठ में दरारें आने से पूरे जोशीमठ में हड़कंप मच गया है। यहा पर 20,000 से ज्यादा लोग रहते है।बता दें जोशीमठ में रहने वाले परिवारों मे से कुल 561 मकानों में दरार आ चुकी हैं। दरकने के बाद इलाके के पीड़ितों ने प्रदेश सरकार से मदद की गुहार लगाई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि एनटीपीसी के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की वजह से यह मुसीबत आई है। इसके अलावा मठस्थली में मौजूद शिव मंदिर करीब छह इंच धंस गया है और यहां रखे हुए शिवलिंग में दरारें आ गई हैं। मंदिर के ज्योर्तिमठ का माधवाश्रम आदि शंकराचार्य ने बसाया था। यहां देशभर से विद्यार्थी वैदिक शिक्षा व ज्ञानार्जन के लिए आते हैं। वर्तमान में भी 60 विद्यार्थी यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
जोशीमठ शहर में जानमाल की सुरक्षा के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। शहर के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। जोशीमठ का अध्ययन कर लौटी विशेषज्ञों की टीम की संस्तुतियों के आधार पर देर शाम यह कदम उठाया गया।
शहर एक नाजुक पहाड़ी ढलान पर बना हुआ है जो कथित तौर पर अनियोजित और अंधाधुंध विकास परियोजनाओं के चलते संकट से घिर गया है। यहां हाल के वर्षों में निर्माण और जनसंख्या दोनों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।