चरण सिंह
उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने जा रहा विधानसभा उप चुनाव मुख्यमंत्री योेगी आदित्यनाथ के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है। अपना वजूद बचाने के लिए मिल्कीपुर और कटेहरी सीट तो उन्हें जीतने ही पड़ेंगी। ऐसे में जिस तरह से सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कटेहरी सीट जिताने की जिम्मेदारी अपने चाचा शिवपाल यादव और मिल्कीपुर सीट की जिम्मेदारी फैजाबाद के सांसद और इस सीट से विधायक रहे अवधेश प्रसाद सिंह को सौंपी है उसे योगी आदित्यनाथ को घेरने की बड़ी रणनीति माना जा रहा है। देखने की बात तो यह है कि बीजेपी इन दो सीटों के अलावा आठ सीट मीरापुर, कुंदरकी, खैर, गाजियाबाद, फूलपुर, मंझवा, सीसामऊ और करहल पर चुनाव लड़ रही है पर अखिलेश यादव उन दो सीटों पर पूरी तरह से घेराबंदी कर देना चाहते हैं जिनकी जिम्मेदारी खुद योगी आदित्यनाथ ने ली है।
दरअसल लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें कम हो जाने का ठीकरा योगी आदित्यनाथ के सिर पर फोड़ने के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की अगुआई में एक बड़ी लामबंदी देखी गई। इस लामबंदी में दूसरे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, प्रदेश भूपेंद्र चौधरी और संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह भी भी देखे गये। इस लामबंदी के पीछे गृहमंत्री अमित शाह का हाथ बताया जा रहा है। यही वजह रही कि योगी आदित्यनाथ ने दो सीटें मिल्कीपुर और कटेहरी जितवाने की जिम्मेदारी खुद ली है और फूलपुर और मंझवा को जिताने की जिम्मेदारी केशव प्रसाद मौर्र्य को, सीसामऊ और करहल को जितवाने की जिम्मेदारी ब्रजेश पाठक को, मीरापुर और कुंदरकी की जिम्मेदारी भूपेंद्री चौधरी और गाजियाबाद और खैर को जितवाने की जिम्मेदारी धर्मपाल सिंह को दी है।
ऐसे में योगी आदित्यनाथ ने एक तीर से दो शिकार किये हैं। एक से लामबंदी करने वाले नेताओं को चुनाव में लगा दिया है तो दूसरी ओर हार की जिम्मेदारी से बचने का कोई मौका नहीं दिया है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ के साथ ही केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, भूपेंद्र चौधरी और धर्मपाल सिंह को चुनाव में पूरी ताकत झोंकने को मजबूर कर दिया है।
निश्चित रूप से मिल्कीपुर योगी आदित्यनाथ के लिए बहुत टफ सीट है पर अयोध्या में सांसद अवधेश प्रसाद के करीबी मोईन पर जो गैंग रेप के आरोप लगे हैं उनको लेकर योगी आदित्यनाथ माहौल बनाने में लगेंगे। उधर कन्नौज में कभी सपा के करीबी रहे नवाब सिंह यादव की गिरफ्तारी नाबालिग लड़की से रेप के प्रयास में हुई है। ऐसे में अयोध्या और कन्नौज का मामला अखिलेश यादव के लिए दिक्कतभरा और बीजेपी के लिए फायादेमंद साबित हो सकता है। वैसे लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को जो ३७ सीटंे मिली हैं वे भाजपा के खिलाफ जनता में नाराजगी की वजह से मिली हैं।
बीजेपी के 400 से ऊपर सीटें आने पर संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने का माहौल बनाना भी भाजपा के लिए काम आया। सबसे बड़ा कारण इंडिया गठबंधन की उत्तर प्रदेश में बढ़त कांंग्रेस के घोषणापत्र में महिलाओं को सालाना एक लाख रुपये देने का लालच रहा है। योगी आदित्यनाथ और अमित शाह की वर्चस्व की लड़ाई भी सपा और कांग्रेस की बढ़त की वजह रही है। 30-35 सीटें योगी आदित्यनाथ की सहमति के बिना लड़ना भी बीजेपी की हार का बड़ा कारण रहा है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ को खुलकर मौका मिलने से समाजवादी पार्टी को लोकसभा चुनाव की तरह फायदा नहीं मिलने जा रहा है।