अपने बेबाक अंदाज के लिए मशहूर मशहूर उर्दू शायर मुनव्वर राना का रविवार रात लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे। पिछले काफी समय से मुनव्वर बीमार थे। उनका इलाज PGI में चल रहा था। वह वहाँ ICU वार्ड में भर्ती थे। रविवार (14 जनवरी 2024) को साढ़े 11 बजे के आसपास उन्होंने अंतिम सांस ली । जानकारी के मुताबिक, पिछले दो साल से मुनव्वर को किडनी की बीमारी थी। वह तब से डायलिसिस पर चल रहे थे। इसके साथ उन्हें लीवर की भी बीमारी COPD थी। 9 जनवरी को हालत खराब होने पर उन्हें PGI में एडमिट किया गया था जहाँ 14 जनवरी को उन्होंने आखिरी सांस ली। डॉक्टरों ने मीडिया को बताया कि मुनव्वर को किडनी की बीमारी तो थी ही। लेकिन जब 9 जनवरी को उन्हें एडमिट किया गया तो उन्हें COPD के साथ हार्ट की भी दिक्कत थी, जिसके चलते वेंटिलेटर पर रखा गया। सेहत में सुधार होने के बाद वेंटिलेटर से हटाया गया था लेकिन ज्यादा समय तक बिना वेंटिलेटर रह नहीं सके। दोबारा उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा, जहाँ रविवार को उनका निधन हो गया। बता दें कि देश के मशहूर शायर मुनव्वर राना कई साहित्यिक अवार्ड पा चुके थे। लेकिन पिछले काफी समय से वो विवादों के कारण खबरों में रहते थे।
मुनव्वर राणा के बारे में :
मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था. उर्दू साहित्य और कविता में उनके योगदान, विशेषकर उनकी ग़ज़लों को व्यापक रूप से मान्यता मिली. वे अक्सर हिन्दी और अवधी शब्दों का प्रयोग करते थे, जो भारतीय श्रोताओं को बहुत पसंद आते थे. उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता ‘मां’ है, जिसमें मां के मायनों को बखूबी बताया गया है. एक आम जिंदगी से मुनव्वर राणा बनने तक का उनका सफर काफी दिलचस्प रहा है.
मुनव्वर राणा की जिंदगी से जुड़ा खास किस्सा
कभी शायरी, तो कभी अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले मुनव्वर राणा की जिंदगी से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जिनका उन्होंने कहीं ना कहीं जिक्र किया है. मुनव्वर राणा और राहत इंदौरी की जोड़ी को लोग बहुत पसंद करते थे, इन दोनों ही महान शायरों को एक साथ एक मंच पर देखना शायरी के शौकीन लोगों के लिए हमेशा से एक बड़ा लम्हा होता है. मुनव्वर और राहत इंदौरी की अच्छी दोस्ती थी, दोनों ने कई मुशायरे साथ में किए थे.
राहत और मुनव्वर की दोस्ती
सत्तर के दशक के आखिर में दो युवा शायर उभरकर सामने आए, जिनको लोग मुनव्वर राणा और राहत इंदौरी के नाम से जानते हैं. दोनों की पहली मुलाकात मुंबई में एक मुशायरे के दौरान हुई थी, उस समय दोनों महज बीस साल के थे. दोनों की दोस्ती और शायरी को लोग खूब पसंद करते थे. दोनों को अक्सर एक साथ मंच साझा करने के लिए बुलाया जाने लगा था, लेकिन दिल का दौरा पड़ने से राहत इंदौरी के निधन हो गया, जहां पर ये दोस्त अलग हो गए.
‘मुनव्वर और राहत’ नाम से मुशायरे
मुनव्वर राणा ने राहत इंदौरी के निधन पर अपना दुख जाहिर करते हुए कहा था कि ‘मैंने जो खोया है, उसे लफ्जों में बयां नहीं कर सकता.’ उन्होंने बताया था कि दोनों से साथ में लगभग 40 मुशायरे साथ में किए थे. इन मुशायरों को ‘मुनव्वर और राहत’ का नाम दिया जाता था. इन दोनों को एक साथ मंच पर बुलाने का मकसद होता था दोनों के फैंस को एक साथ इक्ट्ठा करना, और ऐसा होता भी था. जब ये दोनों एक साथ शायरी पड़ने आते तो फैंस की दिल की धड़कने रुक जाती थीं, हर तरफ सिर्फ तालियों की आवाज कांनो में गूंजती थी. उन दोनों को एक साथ बुलाने की परंपरा बन गई थी.
राहत इंदौरी ने बताए उर्दू शायरी के तीन बड़े नाम
मुनव्वर राणा ने एक बार अपने दोस्त राहत इंदौरी के को याद करते हुए बताया था कि एक बार एक मुशायरे के दौरान राहत इंदौरी ने मेरा परिचय कराते हुए कहा कि ‘उर्दू शायरी में तीन बड़े नाम हैं. पहले थे मुनव्वर राना, दूसरे थे मुनव्वर राना और तीसरे थे मुनव्वर राणा ही है.’