राजगीर । पर्यटन भाषाओं एवं संस्कृति की विस्तृत जानकारी का आईना है। भारत की विविधता और उसके पहलूओं को जानने में पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान है। यह मनोरंजन के साथ अर्थव्यस्था का प्रमुख आधार स्तम्भ है। नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अभय कुमार सिंह ने पत्रकार डॉ आशुतोष कुमार आर्य की पुस्तक “भारत में पर्यटन विकास और संभावनाएं” पुस्तक का लोकार्पण करने के बाद यह कहा। इस अवसर पर डॉ आर्य ने कहा कि उनके द्वारा विकसित अर्थव्यस्था और पर्यटन को जोड़ने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और जातिवाद लोगों को बांटता है, जबकि पर्यटन लोगों को जोड़ता है। शंखनाद साहित्यिक मंडली के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि जनसंख्या के दृष्टिकोण से भारत विश्व का दूसरा और राजनीतिक दृष्टिकोण से विश्व का सातवां बड़ा देश है। यहां प्राचीन काल से सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, भौगोलिक आधारों पर विभिन्नताएं पाई जाती हैं। भारत में विविधता पर्यटन के संबंध में भी सोसायटी को प्रस्तुत करती है। भारत में अनेकों ऐतिहासिक स्थल, भौगोलिक विविधताएँ, विविध विविधताएँ और प्राकृतिक उपहार उपलब्ध हैं। मूल रूप से भारत में पर्यटन के क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन हैं। वरिष्ट पत्रकार अरविन्द मोहन ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र के लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक अर्थशास्त्र का उपयोग नवीन है। आय के स्रोत के रूप में पर्यटन का अत्यधिक महत्व, रोज़गार संकट, क्षेत्रीय विकास, विदेशी और कई देशों के लिए भुगतान मुद्रा संतुलन में प्रमुख कारक कई संचय के साथ-साथ आर्थिक विकास में रुचि बनाए रखने वाले अन्य लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है।पर्यटन 20वीं सदी के सबसे बड़े वैश्विक उद्योग के रूप में खोजा गया है और 21वीं सदी में और भी तेजी से बढ़ने का अनुमान है। शंखनाद के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि पर्यटन नीति पर्यटन क्षेत्र को मजबूत करता है। देश में रोज़गार सृजन करता है। भारत में पर्यटन नीति की शुरुआत आज़ादी के बाद हुई थी। भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता और सहयोग का प्रयास 1945 में किये गये थे। इसके बाद भारत में पर्यटन का लगातार विकास हुआ।
[7:02 PM, 3/17/2024] Naresh Thakur: रिपोर्ट:-राम विलास नालंदा बिहार।