द न्यूज 15
नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की इस्लामोफोबिक नीतियों पर चर्चा करते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल यूएसए, जेनोसाइड वॉच समेत यूएसए में 17 अन्य मानवाधिकार संगठनों ने गत गुरुवार को भारत में मुसलमानों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की है। गौरतलब है कि हाल ही में हरिद्वार और रायपुर में हुई ‘धर्म संसद’ और दिल्ली में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषणों के मुद्दे पर अमेरिकी संसद में चर्चा हो सकती है। इसके लिए अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रवासी समूहों के साथ-साथ जेनोसाइड वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत में मुसलमानों के जनसंहार से जुड़े आह्वान को लेकर अमेरिकी संसद में सुनवाई का प्रयास कर रहे हैं।
संगठनों ने 2002 के गुजरात दंगों पर भी चर्चा की और हाल ही में “बुल्ली बाई” ऐप के जरिये गिटहब प्लेटफॉर्म पर मुस्लिम महिलाओं की “नीलामी” मामले के साथ-साथ नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर विभिन्न मोर्चों पर प्रकाश डाला। संगठनों ने कहा कि भाजपा देश के मुस्लिम नागरिकों को अपंग और बेदख़ल करने की इच्छुक है।
जेनोसाइड वॉच के अध्यक्ष ग्रेगरी स्टैंटन ने प्रवासी भारतीय समुदाय से जुड़े संगठनों द्वारा आयोजित एक संसदीय ब्रीफ़िंग में इस बारे में जानकारी दी है। नफ़रत आह्वान से मुद्दे पर ग्रेगरी स्टैंटन ने कहा कि जनसंहार एक घटना नहीं बल्कि एक प्रक्रिया होती है। ग्रेगरी स्टैंटन ने कहा है कि “हम द्विदलीय लैंटोस मानवाधिकार आयोग द्वारा एक संसदीय सुनवाई की मांग करेंगे। इस सुनवाई का उद्देश्य अमेरिकी संसद में एक प्रस्ताव पास कराना होगा, जिससे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी सरकार को एक चेतावनी दी जा सके कि उन्हें जनसंहार से जुड़े आह्वानों को उकसाना, जो कि अपने आप में एक अपराध है, बंद करना होगा।”
गौरतलब है कि लैंटोस मानवाधिकार आयोग एक संसदीय मानवाधिकार कॉकस है जो कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित सार्वभौमिक मानवाधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित है। ग्रेगरी स्टैंटन ने ये भी बताया है कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी आयोग जो कि बीते दो सालों से भारत को ‘विशेष चिंता के देश’ के रूप में चिन्हित करने की मांग कर रहा है, वह भी इस मुद्दे पर सुनवाई कर सकता है।
जनसंहार की संभावना वाले 162 देशों की सूची में भारत दूसरे स्थान पर : बता दें कि हाल ही में अमेरिकी होलोकॉस्ट म्यूज़ियम ने सामूहिक हत्याओं के जोख़िम वाले देशों की सूची में भारत को दूसरे स्थान पर रखा। इसके बाद से इस तरह के प्रयासों को गति मिली है। यूएस होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूज़ियम के शोध के अनुसार, भारत जनसंहार के लिए उच्च जोखिम वाले दुनिया के 162 देशों की सूची में दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर पाकिस्तान है। जबकि उस सूची में तालिबान शासित अफ़ग़ानिस्तान चौथे, नाईजीरिया 8वें, आईएसआईएस के कब्ज़े वाला सीरिया 14वें, सैन्य शासित म्यांमार 17 वें स्थान पर है। (साभार : जनचौक)
नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की इस्लामोफोबिक नीतियों पर चर्चा करते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल यूएसए, जेनोसाइड वॉच समेत यूएसए में 17 अन्य मानवाधिकार संगठनों ने गत गुरुवार को भारत में मुसलमानों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की है। गौरतलब है कि हाल ही में हरिद्वार और रायपुर में हुई ‘धर्म संसद’ और दिल्ली में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषणों के मुद्दे पर अमेरिकी संसद में चर्चा हो सकती है। इसके लिए अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रवासी समूहों के साथ-साथ जेनोसाइड वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत में मुसलमानों के जनसंहार से जुड़े आह्वान को लेकर अमेरिकी संसद में सुनवाई का प्रयास कर रहे हैं।
संगठनों ने 2002 के गुजरात दंगों पर भी चर्चा की और हाल ही में “बुल्ली बाई” ऐप के जरिये गिटहब प्लेटफॉर्म पर मुस्लिम महिलाओं की “नीलामी” मामले के साथ-साथ नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर विभिन्न मोर्चों पर प्रकाश डाला। संगठनों ने कहा कि भाजपा देश के मुस्लिम नागरिकों को अपंग और बेदख़ल करने की इच्छुक है।
जेनोसाइड वॉच के अध्यक्ष ग्रेगरी स्टैंटन ने प्रवासी भारतीय समुदाय से जुड़े संगठनों द्वारा आयोजित एक संसदीय ब्रीफ़िंग में इस बारे में जानकारी दी है। नफ़रत आह्वान से मुद्दे पर ग्रेगरी स्टैंटन ने कहा कि जनसंहार एक घटना नहीं बल्कि एक प्रक्रिया होती है। ग्रेगरी स्टैंटन ने कहा है कि “हम द्विदलीय लैंटोस मानवाधिकार आयोग द्वारा एक संसदीय सुनवाई की मांग करेंगे। इस सुनवाई का उद्देश्य अमेरिकी संसद में एक प्रस्ताव पास कराना होगा, जिससे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी सरकार को एक चेतावनी दी जा सके कि उन्हें जनसंहार से जुड़े आह्वानों को उकसाना, जो कि अपने आप में एक अपराध है, बंद करना होगा।”
गौरतलब है कि लैंटोस मानवाधिकार आयोग एक संसदीय मानवाधिकार कॉकस है जो कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित सार्वभौमिक मानवाधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित है। ग्रेगरी स्टैंटन ने ये भी बताया है कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी आयोग जो कि बीते दो सालों से भारत को ‘विशेष चिंता के देश’ के रूप में चिन्हित करने की मांग कर रहा है, वह भी इस मुद्दे पर सुनवाई कर सकता है।
जनसंहार की संभावना वाले 162 देशों की सूची में भारत दूसरे स्थान पर : बता दें कि हाल ही में अमेरिकी होलोकॉस्ट म्यूज़ियम ने सामूहिक हत्याओं के जोख़िम वाले देशों की सूची में भारत को दूसरे स्थान पर रखा। इसके बाद से इस तरह के प्रयासों को गति मिली है। यूएस होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूज़ियम के शोध के अनुसार, भारत जनसंहार के लिए उच्च जोखिम वाले दुनिया के 162 देशों की सूची में दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर पाकिस्तान है। जबकि उस सूची में तालिबान शासित अफ़ग़ानिस्तान चौथे, नाईजीरिया 8वें, आईएसआईएस के कब्ज़े वाला सीरिया 14वें, सैन्य शासित म्यांमार 17 वें स्थान पर है। (साभार : जनचौक)