मित्र तो आखिर मित्र होते हैं

मित्र तो आखिर मित्र होते हैं

मित्र ही दिल के करीब होते हैं

धूप में बरगद की छाव होते हैं

तपती धरती पर ठंडी बूंद होते हैं

मित्र तो सूरज का तेज होते हैं ।

विचलित मन की राहत होते हैं

हर प्रश्न का ये जवाब होते हैं

हर बात का समाधान होते हैं

बातों की सुलझी बात होते हैं

दिल की मलहम का सार होते हैं ,

दुश्मन के लिए कटार होते हैं

धोखा देने पर आए तो यही
फिर आस्तीन का सांप होते हैं ।
दोस्त खरा हो तो जान होते हैं ।

उषा किरण “मानव”

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