राजगीर। साइबर खतरा, सुरक्षा और सावधानियों को लेकर राजगीर के आरआईसीसी में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी शनिवार को संपन्न हुआ। साइबर अपराधों और सुरक्षा व सावधानियों को लेकर जागरूकता फैलाना और धोखाधड़ी से बचने के लिए सुरक्षित इंटरनेट का उपयोग करने पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि साइबर सुरक्षा हमलों की बदलती प्रकृति, बढ़ती आवृत्ति और बढ़ते परिष्कार को देखते हुए सतर्क रहने के लिए सुझाव दिया गया। प्रौद्योगिकी प्रशासन, जोखिम मूल्यांकन, तकनीकी नियंत्रण, पहुंच प्रबंधन, घटना प्रतिक्रिया, विक्रेता प्रबंधन, डेटा हानि की रोकथाम, सिस्टम परिवर्तन प्रबंधन, शाखा नियंत्रण और कर्मचारी प्रशिक्षण सहित क्षेत्रों में उनके नियंत्रण की समीक्षा के माध्यम से साइबर सुरक्षा जोखिम प्रबंधन के लिए फर्मों के दृष्टिकोण का मूल्यांकन करता है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि साइबर सुरक्षा महत्वपूर्ण है। यह सभी श्रेणियों के डेटा को चोरी और क्षति से बचाती है। इसमें संवेदनशील डेटा, व्यक्तिगत पहचान योग्य जानकारी (पीआईआई) , संरक्षित स्वास्थ्य जानकारी (पीएचआई), व्यक्तिगत जानकारी, बौद्धिक संपदा, डेटा और सरकारी और उद्योग सूचना प्रणाली शामिल हैं। साइबर सुरक्षा कार्यक्रम के बिना, आपका संगठन डेटा उल्लंघन अभियानों से अपना बचाव नहीं कर सकता है, जो इसे साइबर अपराधियों के लिए एक अनूठा लक्ष्य बनाता है। वक्ताओं ने इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में साइबर सुरक्षा, साइबर अपराध और साइबर खतरों के सभी पहलुओं पर अपने अनुभवों और शोध परिणामों का आदान-प्रदान और साझा किया। वक्ताओं ने साइबर सुरक्षा के खतरों और चुनौतियों से अवगत कराया। साइबर खतरे और इन खतरों के जवाबी उपाय’ विषय पर कई दिलचस्प तथ्यों और व्याख्यानों हुआ। किया।
इस अवसर पर सी डैक के डायरेक्टर जितेश चौधरी, डॉ अनुपम चट्टोपाध्याय, रिटायर्ड कमांडर सुरेंद्र शर्मा, डॉ पीके सक्सेना, डॉ राजू हालदार, मिस डीजा एस, डॉ कुणाल अभिषेक, रिटायर कमांडर डॉ शाश्वत रइजादा, आदित्य कुमार सिन्हा, बालाजी वेंकटेश, प्रणव प्रकाश, डॉ चस्मूर्ति, महेश पाटिल, रामी तम्म, कृष्णा पांडेय, आनंद राज ए, सोमनाथ त्रिपाठी, रिटायर्ड मेजर जनरल रवि चौधरी, तूलिका पांडेय एवं द्वारा विचार व्यक्त किया गया।