डीयू खुला लेकिन दिल्ली से बाहर के छात्रों की बढ़ी मुश्किलें, ऑनलाइन याचिका पर लिखी अपनी परेशानी

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द न्यूज 15

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा के साथ दिल्ली के बाहर के वह छात्र जिन्होंने दिल्ली में दाखिला लिया है उनकी और उनके अभिभावकेां की चिंता बढ़ गई है। बड़ी संख्या में छात्र अपने प्रिंसिपलों को मेल लिखकर अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं। डीयू की इस घोषणा के 12 घंटे के अंदर 20 हजार से अधिक दिल्ली के बाहर के छात्रों ने ऑनलाइन याचिका पर लिखी अपनी परेशानी लिखी और डीयू से अपनी इसके समाधान के बारे में कहा।
डीयू के मिरांडा हाउस में बीए अंतिम वर्ष में पढ़ने वाली पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर निवासी छात्रा हर्षिता का कहना है कि हम डीयू खोलने का विरोध नहीं करते हैं लेकिन डीयू को हमारी परेशानियों के बारे में भी सोचना होगा। हम हाइब्रिड मोड में कक्षाओं के संचालन का समर्थन करते हैं। मैं अंतिम वर्ष की छात्रा हूं डेढ़ महीने की कक्षा के बाद फिर परीक्षाएं हैं। ऐसे में इतने कम समय के लिए हमारे जैसे हजारों छात्रों को घर छोड़कर दिल्ली में अस्थाई व्यवस्था करना न केवल खर्चीला है बल्कि परेशान करने वाला भी है।
ऑनलाइन याचिका में मणिपुर में रहने वाले छात्र मघिला तेंजग का कहना है कि डीयू ने काफी कम समय दिया है। मैं यहां से अगर दिल्ली जाता हूं तो मुझे अपने लिए हास्टल या पीजी खोजने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में डीयू को दिल्ली से बाहर के लोगों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प और देना चाहिए।
– कोविड की वर्तमान समस्या की वजह से छात्र भारी मात्रा में प्रभावित हुए हैं, इन्हीं आर्थिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी संकटों के बीच उन्हें अब इतने कम समय के लिए अपने रहने-खाने की व्यवस्था करने और बार-बार विश्वविद्यालय तक आने-जाने के कारण घोर आर्थिक क्षति का सामना भी करना पड़ेगा। हमें यह आश्वासन भी नहीं मिल रहा कि यह गम्भीर स्थिति पुनः पैदा नहीं होने पाएगी, तब हम आपसे इस विषय पर कुछ सहानुभूति की उम्मीद करते हैं।
– प्रथम वर्ष के बच्चों की परीक्षाएं 11 मार्च से हैं, जिनकी तैयारी करते हुए ही उन्हें अपने लिए विश्वविद्यालय के पास आवासीय सुविधाओं का प्रबंध भी करना पड़ेगा, यह उनके लिए अत्यंत परेशानी का विषय है।
– इस महामारी के दौरान छात्रों के साथ-साथ उनके परिवारों को मानसिक और आर्थिक रूप से दिल्ली आने-जाने का बोझ वहन करना कठिन है। मौजूदा स्थिति का छात्रों की मानसिक स्थिति पर बहुत गम्भीर प्रभाव पड़ेगा, साथ ही उनकी पढ़ाई भी प्रभावित होगी।
– बहुत से छात्र, विशेष तौर पर स्नातक व परास्नातक अंतिम वर्ष की पढ़ाई करने वाले छात्र अपने घर पर रहकर ही विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और कोचिंग में जुटे हुए हैं, जो उनका भविष्य तय करती हैं। ऐसे में कोचिंग बीच में छोड़कर केवल डेढ़ महीने के लिए विश्वविद्यालय आकर कक्षाएं करना अव्यवहारिक है।
– दिल्ली विश्वविद्यालय में विदेश से आने वाले भी काफ़ी बच्चे मौजूद हैं। उनके लिए इस स्थिति में विदेश से आकर कक्षाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज करना असंभव होगा। उन्हें वीज़ा, पासपोर्ट, एक दूसरे देश में आना, कोविड-गाइडलाइन्स आदि का अनुसरण करना होगा।
– वर्तमान में महंगाई बढ़ चुकी हैं। ऐसे में प्राइवेट हॉस्टलों और पीजी में छात्रों को डेढ़ महीने के लिए मनमाने ढंग से किराए की मांग कर रहे हैं जिसके लिए हम बच्चे तैयार नहीं हैं। बहुत सारे बच्चों ने कोविड के दौरान अपने माता-पिता भी खोए हैं, वे आर्थिक रूप से तंगी झेल रहे हैं, ऐसे में उनके लिए इन सबका समुचित प्रबंध कर पाना बिल्कुल असंभव है।
– ओमिक्रोन भले ही कम घातक माना जा रहा है लेकिन यह लोगों को संक्रमित तो कर ही रहा है ऐसे में दिल्ली से बाहर का छात्र यहां आता है उसे संक्रमित होने का भी खतरा है। उसके साथ उसके परिवार के लोग भी नहीं हैं जिनसे उनको मदद मिल सके।
क्या है डीयू का पक्ष : डीयू के डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो.पंकज अरोड़ा का कहना है कि जब छात्र रेगुलर डिग्री कोर्स कर रहे हैं और स्थितियां सामान्य हो रही हैं तो उनको कॉलेज या विश्वविद्यालय आना पड़ेगा। प्रतिकूल परिस्थितियों में ऑनलाइन पढ़ाई हुई है।

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